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________________ (९) विसर्जनपाठ। दोहा। विन जाने वा जानके, रही टूट जो कोय । तुम प्रसादतें परमगुरू, सो सब पूरन होय ॥ १॥ पूजन विधि जानें नहीं, नहिं जानें आव्हान । और विसर्जन हू नहीं, क्षमा करो भगवान ॥२॥ मंत्रहीन धनहीन हूँ, क्रियाहीन जिनदेव । क्षमा करहु राखहु मुझे, देव चरणका सेव ॥३॥ आये जो जो देवगण, पूजे भक्तिप्रमान । ते अब जावहु कृपाकर, अपने अपने थान ।। ४ ॥ प्रश्नावली। १-पूजनसे क्या समझते हो-और पूजनके लिए किन किन चीजोंकी जरूरत है । पूजनके अष्टद्रव्योंके नाम बताओ? २-पूजनके पीछे शातिपाठ क्यों पढा जाता है और पूजनके पहले आव्हान क्यों किया जाता है ? ३-अर्ध किसे कहते हैं और अर्घ कब चढाया जाता है ? ४-अष्टद्रव्य जो चढाये जाते हैं, वे किसी क्रमसे चढाये जाते हैं या जिसे चाहें उसे पहले चढा देते हैं ? ५-पूजा खड़े होकर करना चाहिये या बैठकर पूजा करने वालोंको सबसे पहले और सबसे अन्तमें क्या करना चाहिए ? ६-अष्टद्रव्योंके चढानेके पश्चात् जो जयमाला पढी जाती है उसमें किस वातका वर्णन होता है ? ७-अक्षत और फल चढानेके छद पढो और यह बताओ कि छद पढनेके पश्चात् क्या कहकर द्रव्य चढाना चाहिए ?
SR No.010158
Book TitleBalbodh Jain Dharm Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDayachand Goyaliya
PublisherDaya Sudhakar Karyalaya
Publication Year
Total Pages145
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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