SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 67
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ नीमरा भाग। जो कुछ पहले दो गया, जो अब हो रहा है और जो कुछ आगे होगा, वह सब सर्वज्ञको मालूम होता है । हितोपदेशी उसे कहते हैं, जो सव जीवाके कल्याण करनेवाला उपदेश दे। जिस देवमें ये तीन गुण पाए जायँ, जो बीतगगी, गर्वन और हितोपदेशी दो-वही मचा देव है । उसको अरहंत, जिनेन्द्र, तीर्थंकर परमेष्ठी आदि अनेक नामासे पुकारते है । ससा शास्त्र । सच्चा शास्त्र उसे कहते हैं, जो मच्चे देवका कहा हुआ हो, कोई भी जिसका खंडन न कर सके, जिसमें किसी तरहका विरोध न हो, जिसमें सच्ची बातोंका उपदेश भरा हो, जिसके पढने, पढ़ाने, सुनने, सुनानेसे जीवों का कल्याण हो, और जो खोटे मार्गका नाश करनेवाला हो, डमको आगम, सरस्वती, जिनवाणी भी कहते हैं। सच्चा गुरु । सच्चा गुरु उसे कहते हैं, जो पांचों इन्द्रियोंके विषयोमेंसे किसी भी विषयकी लालसा न रखता हो, जो त्रस जीवो तथा स्थावर जीवोंकी हिंसासे दूर रहता हो, जिसके पास किसी प्रकारका भी आरम्भ व परिग्रह न हो और जो मदा पढने, पढ़ाने, अपनी आत्माका चितवन करने तथा ध्यानमें लीन रहता हो । ऐसे गुरुको ही साधु, मुनि, यति, तपस्वी आदि कहते हैं। .
SR No.010158
Book TitleBalbodh Jain Dharm Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDayachand Goyaliya
PublisherDaya Sudhakar Karyalaya
Publication Year
Total Pages145
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy