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________________ 4 4 अध्यापक महाशयोंसे निवेदन । I यह बात निर्विवाद सिद्ध है कि बालकका हृदय अति कोमल होता है । जो बातें बचपन में बालकोंके हृदयमें जमा दी जाती हैं उनको वे उमर भर नहीं भूलते हैं । अतएव धार्मिक शिक्षाकी वृद्धिके लिये यह आवश्यक है कि चालकनही प्रत्येक विषय भले प्रकार समझा दिये जायें । समझाने के लिये सर्वोत्तम मार्ग पुस्तक से संकेत लेकर उदाहरणों से मौखिक शिक्षा देनेका है। क्योंकि ऐसा करने से सहज ही में कोंकी समझ आ जाता है और दिल भी लग जाता है वन आपको भी हमी मार्गका अनुमरण करना उचित है । । नीव, अजीव, त्रम और स्थावर के गेंद तमवीर्गे तथा द्वारा अथवा अन्यान्य वस्तुओं ममझाना चाहिये कपटक समातिका पुस्तक छपे हुए प्रश्न तथा प्रभाव और और प्रश्न भी विद्यार्थियों पूछना और इस वहिये । आपका सेवक, दयाचन्द्र गोयलीय, बी०ए० ।
SR No.010158
Book TitleBalbodh Jain Dharm Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDayachand Goyaliya
PublisherDaya Sudhakar Karyalaya
Publication Year
Total Pages145
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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