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________________ दूमरा भाग। तीसरा पाठ। द्रव्यचर्चा। (पहिले भागसे आगे) प्रस जीवोंके भेद । त्रम जीव चार प्रकारके होते है: १-दोइन्द्रिय जीव, तीनइन्द्रिय जीव, ३-चतुरिन्द्रिय जीव, पंचेन्द्रिय जीव । ___ नोट-दो इन्द्रिय जीव, तीन इन्द्रिय जीव और चतुरिन्द्रय जीव इन जीवोको विकलत्रय कहते हैं । पंचेन्द्रिय जीवोमसे तिर्यच पचेन्द्रिय जीव तीन प्रकारके हैं: १-जलचर जीव । २-थलचर जीव । ३-नभचर जीव । जलचर जीव उन्हें कहते हैं जो जल में ही रहे। जैसे--मन्छी , मगरमच्छ इत्यादि । २-थलचर जीव-उन्हें कहते है, जो पृथ्वीपर चलतेफिरते । जैसे गाय, मम, कुना. विही इत्यादि । -मचा जीव-उन्हें कहते हैं जो आवागमें उहा करते है । जैसे-गोवा. चील, ववृतर न्यादि। समस्त पंचेन्द्रिय जीव मनी, अर्मनीक भेदसे दो-दो प्रणारे होते हैं। इ-मनी (मटी), २-अमैनी ( अयंती),
SR No.010158
Book TitleBalbodh Jain Dharm Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDayachand Goyaliya
PublisherDaya Sudhakar Karyalaya
Publication Year
Total Pages145
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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