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________________ m aAMALYANMAR AMAITAMATATAN in Alm maranthanaamaasman ४] बालबोध जैन–धर्म। प्रश्नावली । (१) इस स्तुतिके बनानेवाले कौन हैं ? (२) पहिले और अन्तके दोहेको शुद्ध पढ़ो । (३) 'आतमके अहित विषय कषाय' इससे आगे अन्त तक पढ़ो। ( ४ ) आदिसे लेकर स्वाभाविक परिणतिमय अछीन' तक पढो। (५) इस स्तुतिमें जो पद्य तुमको सबसे प्रिय लगते हों, उनको कहो। (६) इम स्तुतिका भावार्थ अपनी भापामें लिखो। (७) स्तुति किसे कहते है और इसके पढनेसे क्या लाभ है ! दूसरा पाठ। भूधरदासजी कृत वारह भावना । दाहा। नित्य-गना गणा छत्रपति, हाथिनके अमगार । मग्ना मवको एक दिन, अपनी-अपनी बार ॥ १॥ बादलबले, दे देवता, मान पिता परिवार । माती विग्यिाँ जीवको, कोट न गमनहार ॥२॥ ___ -दाम विना निधन दुनी, नागावा धनवान । कब न मम मं माम, मय जग दंग्या छान ॥ ३ ॥ - दान' । २-५२२ समय ।
SR No.010158
Book TitleBalbodh Jain Dharm Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDayachand Goyaliya
PublisherDaya Sudhakar Karyalaya
Publication Year
Total Pages145
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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