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________________ ( ६७ ) ५ संस्थान और संहनन किस किसके होते हैं ? नीचे लिखे हुओंके संस्थान, संहनन है या नहीं ? अगर है तो कौन कौनसे ? देव, कुबड़ा, मनुष्य, स्त्री, राममूर्ति, मच्छी, शेर, सॉप, नारकी, मक्खी । ६ ऐसे कर्म बतलाओ जिनकी प्रकृतियोंपर ६ का भाग पूरा पूरा चला जाय ? ७ नामकर्म की ऐसी प्रकृतियाँ बताओ जो एक दूसरेसे उलटी है ? ८ निम्न लिखित प्रकृतियोंका उदय किन किनके होता है ? समचतुरस्रसंस्थान, अपर्याप्त | ९ नीचे लिखे हुए प्रश्नों के उत्तर दो -- ( क ) तुम पचेन्द्रिय यों हुए ? ( स ) लोगोंको नींद क्यों आती है ? ( ग ) हमको अवधिज्ञान क्यों नहीं होता १ (घ) सम्यग्दर्शन कबतक नहीं होता ? ( उ ) सब मनुष्य कुबड़े और बौने क्यों नहीं होते ? (च) एम आकाशमें क्यों नहीं चल फिर सकते ? (छ) देव अपना शरीर छोटा बड़ा कैसे पर सकते हैं ? ( ज ) दमको तमाम चीजें क्यों नहीं दिखलाई देतीं ( स ) एम एर जगह पथों नहीं जा सकते २० बताओ एनके किस किस पप्रकृतिका उदय है ! (क) सोहन पटते पटते सो जाता है। ( स ) जयदेवी बड़ी ! (ग) गोविंद बारा गूँगा और अन्धा है। (घ) राममूर्ति यदा भोटा वा पहचान है। ( उ ) राम सदा रोगी रहता है। रते हैं। (च) मोहन सद () देवदत्त पर भी एल. बाप है। (ज) बाद भी परदे है।
SR No.010158
Book TitleBalbodh Jain Dharm Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDayachand Goyaliya
PublisherDaya Sudhakar Karyalaya
Publication Year
Total Pages145
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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