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________________ (४०) बुलावे उसके यहाँ भोजन कर आता है। किन्तु अपने मुंहसे यह नहीं कहता कि मेरे वास्ते वह चीज बनाओ। ११ उद्दिष्टत्यागप्रतिमा-घर छोड़कर वनमे या मठ वगैरहमें तपश्चरण करते हुए रहना, खण्डवस्त्र धारण करना, विना याचना किये भिक्षावृत्तिसे योग्य उचित आहार लेना उद्दिष्टत्यागप्रतिमा है । इस प्रतिमाधारीके दो भेद हैं:-१ क्षुल्लक २ ऐलक । क्षुल्लक अपने शरीरपर छोटी चादर रखते हैं पर ऐलक लंगोटी मात्र रखते हैं। प्रश्नावली। १ प्रतिमा किसे कहते हैं ? और इसके कितने भेद हैं १ नाम सहित बताओ। भगवानकी मूर्तिको भी प्रतिमा कहते हैं, बतलाओ उक्त प्रतिमा अब्दका इससे कुछ सम्बन्ध है या नहीं ? २ प्रतिमाओंका पालन कौन करता है ? किसी प्रतिमाके पालन करनेके लिए उससे पहलेकी प्रतिमाओंका पालन करना जरूरी है या नहीं ? ३ एक आदमी अभी तक किसी भी प्रतिमाका पालन नहीं करता था परन्तु अब उसने पहली प्रतिमा धारण कर ली, तो बताओ उसने पहलेसे क्या उन्नति कर ली ? ___ ४ निम्न लिखित कौन प्रतिमाओंके धारी है ? ब्रह्मचारी, पर्वोके दिन प्रोषधोपवास करनेवाला, घरका कोई भी काम न करके तमाम दिन धर्मध्यान करनेवाला, स्त्री मात्रका त्याग करनेवाला, एक लगोटीके सिवाय और किसी तरहका परिग्रह न रखनेवाला । ___५ ये ऊँचीसे ऊँची कौनसी प्रतिमाओंका पालन कर सकते हैं-गृहस्थ, । स्त्री, पुरुष, पशु, पक्षी। ६ कोट बूट पतलन पहिनते हुए, सौदागिरी करते हुए, रेलमें सफर करते : हुए, लदनमें रहते हुए, लड़ाईके मैदानमें लड़ते हुए, वकालात, अध्यापकी, • वैद्यक, ज्योतिषी, सम्पादकी करते हुए, राज्य और न्याय करते हुए, कौनसी । प्रतिमाका पालन हो सकता है ?
SR No.010158
Book TitleBalbodh Jain Dharm Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDayachand Goyaliya
PublisherDaya Sudhakar Karyalaya
Publication Year
Total Pages145
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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