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________________ धर्म की शक्ति ५३३ रसोइये उसे लकड़ी, पत्थर आदि से मारकर भगाते, मगर वह अपनी आदत नहीं छोड़ता। एक बूढा बन्दर यह सब देखा करता । उसे लगा कि, 'यह ठीक नहीं होता । राना का रसोइया क्रोधी है और घंटा हठीला है । एक दिन यह रसोइया उसे जलती लकड़ी से मारेगा और जलता हुआ घंटा पास की अश्वगाला मै घुसेगा। वहाँ घास में आग लगेगी और घोड़े जलेंगे। ये घोड़े राजा को बहुत प्रिय हैं । वह उपाय पूछेगा । उसके लिए बन्दरों की चर्बी लगाने की सिफारिश की जायेगी और तब हम सब की मौत आयेगी। इसलिए, यहाँ से अभी से चला जाना अच्छा। उसने सब बन्दरो को एकान्त मे इकहा किया और कहा-"भाइयो! राजा के रसोइये और घंटे के बीच रोज लड़ाई होती है। उसमें हम लोगो का कभी निकन्दन निकल जायगा। इसलिए, हम पर कोई आफत आये, उससे पहले ही यहाँ से वन में चल दें। वहाँ फल-फूल खायेंगे और आनन्द करेंगे।" यह सुनकर एक बन्दर ने कहा-"यह तो अजीब बात है ! रसोइया और घंटा रोज लड़े, इसमे हमारा क्या ?" दूसरे बन्दर ने कहा-"अगर रसोइये और बन्दर की लड़ाई से कोई आफत आनेवाली होती तो कभी की आ गयी होती। वह अभी तक नहीं आयी, इसी से प्रकट है कि जो भय दिखलायाजा रहा है 'मिथ्या है।" तीसरे ने कहा-'जहाँ किसी आफत की आशका न हो, आशका मानकर वहाँ से चल देना, यह समझदारी की बात नहीं है !" चौथे ने कहा-"जो सुख यहाँ मिलता है, वह वन में क्या मिलनेचाला है १ जानबूझकर दुःख में पड़ने का क्या मतलब ?"
SR No.010156
Book TitleAtmatattva Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakshmansuri
PublisherAtma Kamal Labdhisuri Gyanmandir
Publication Year1963
Total Pages819
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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