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________________ गुणस्थान ४७५ उस वक्त की दृढ मान्यता थी कि, राजगद्दी पर आनेवाला पूर्ण अंगोवाला होना चाहिए। __पद्मावती रानी को राजा का यह वर्तन जरा भी पसन्द नहीं था; लेकिन वह क्या करे ? राजा उसका कहा मानता नहीं था। आखिर रानी ने अमात्य को विश्वास में लिया और अपने भावी पुत्र को किसी प्रकार बचाने का निर्णय किया । कालक्रम से पद्मावती को पुत्र हुआ। उसी समय अमात्य तेतलीपुत्र की पत्नी पोट्टिला ने एक मृत पुत्री को जन्म दिया । पहले से निश्चित प्रबंध के अनुसार इन दोनों की अदला-बदली हुई और पद्मावती का पुत्र अमात्य के पुत्र के रूप में जाना जाने लगा। उसका नाम कनकध्वज रखा गया । कनकरथ राजा बीमार पड़ा और मरण को प्राप्त हुआ। सब एकत्र होकर विचार करने लगे कि 'अब राजगद्दी पर किसको बिठाया जाये ?' उस वक्त अमात्य ने कनकध्वज को उपस्थित किया और सारा इतिहास कह सुनाया । रानी पद्मावती ने उसकी पुष्टि की । इस पर उसका राज्याभिषेक कर दिया गया। राजमाता ने उसे शिक्षा दी-'अमात्य तेरा उपकारी है। उसने ही तेरा रक्षण किया है और तुझे पाला-पोसा है, इसलिए उसका हमेशा मान रखना।' ___कनकध्वज ने यह मॉ का उपदेश स्वीकार कर लिया और वह अमात्य का बहुमान करने लगा । अमात्य जब राजसभा में आये तो वह सब सभाजनों के साथ खड़ा हो और सब उसे प्रणाम करें । वह अमात्य की सूचनासलाह को भी मान्यता देता । इस तरह अमात्य का स्थान राजपिता-सरीखा बन गया । मत्री भी निरन्तर राजा और प्रजा के कल्याण की ही चिन्ता करता और उसके उपायों में व्यस्त रहता। ___ अब मत्री के गृहजीवन पर एक दृष्टि डालें । अमात्य तेतलीपुत्र अपनी पत्नी पोट्टिला से अत्यन्त प्रेम करता था। उसका सौन्दर्यभरा यौवन उसे
SR No.010156
Book TitleAtmatattva Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakshmansuri
PublisherAtma Kamal Labdhisuri Gyanmandir
Publication Year1963
Total Pages819
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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