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________________ आत्मा की शक्ति २०५ शलाकापुरुप यानी पवित्र पुरुष, ऐसे महापुरुप जिनका मोक्षगमन सुनिश्चित है। श्री हेमचन्द्राचार्य महाराज ने ऐसे तिरसठ शलाका पुरुपो का चरित्र सस्कृत भाषा में सुन्दर श्लोकबद्ध रचना द्वारा चित्रित किया है। आज तो कोई बलदेव, वासुदेव या चक्रवर्ती हमारे सामने नहीं है, इसलिए उनके बल का अनुमान कैसे लगा सकते है ? परन्तु ऐसे मनुष्य देखने में आते है, जो कि बलवान ओखला को केहुनी मार कर गिरा देते है; मदोन्मत्त हाथी को मुटियो से मात दे देते है, और भयानक बाघ तथा सिंह-जैसे भयानक पशुओ के साथ कुम्ती लड़कर उन्हें हरा देते हैं। कुछ समय पहले बम्बई में दुनिया भर के पहलवानों की कुश्तियो का एक दंगल रखा गया था। उस समय किंगकाग ने एक पहलवान को हवा मे आठ फुट ऊँचा उछाल दिया था। भ्रागधरा में रायमल नामक एक राजा हो गया है। उसमें इतना बल था कि उसने एक ही मुट्ठी मार कर दिल्ली के लालकिले का पत्थर नीचे के भाग से निकाल दिया था। उसके बारे मे नीचे का दोहा प्रचलित है : कटारी अमरेसरी, तोगारी तरवार; हथेरी रायमल्लरी, दिल्ली रे दरवार । ( अमरसिंह राठौर के कटार चलाने के कमाल को, तोगाजी राजपूत को तलवार चलाने की कला को, और रायमल्ल राजा की हथेली के बल को दिल्ली के दरबार में अभूत प्रगसा प्राप्त हुई थी) बलदेव का बल बलदेव का वल इससे बहुत ज्यादा होता है। वह अकेला हजारो योद्धाओं को भारी पड़ जाता है। एक बार अनार्यों ने मिथिला पर हमला कर दिया। राजा जनक ने अयोध्यापति राजा दशरथ को संदेश भेजा । तब दशरथ ने श्रीराम को सेना के साथ मिथिला मेजा । वह सेना
SR No.010156
Book TitleAtmatattva Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakshmansuri
PublisherAtma Kamal Labdhisuri Gyanmandir
Publication Year1963
Total Pages819
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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