SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 213
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सर्वत्रता १६५ 'हिप्नोटिज्म' की अवस्था में आदमी बेहोश होता है, फिर भी वह सामने रखी गयी पुस्तक में से इच्छित पृष्ठ खोलकर इच्छित अंश पढकर सुना देता है और लिखकर भी दे देता है। खूबी की बात तो यह है कि वह पुस्तक उसकी पहले देखी हुई नहीं होती! बम्बई निवासी अध्यात्म-विगारद डॉ० मूलगकर हीरजीभाई व्यास यहीं बैठे सैकड़ो मील दूर की वस्तु देखकर उसका वर्णन कर सकते है। उन्होने इसी साल सुन्दराबाई हॉल में जैन-साहित्य-प्रकाशन-मदिर की ओर से नियोजित शिक्षा-स्मृति समारोह के अवसर पर ऑखो पर पट्टी बाँधकर अनेक वस्तुओं के नाम कह सुनाये थे, रंग बता दिये थे, तथा विभिन्न भाषाओ की पुस्तको के नाम भी पढ सुनाये थे। उनकी आँखो को वन्द करके रुई के मोटे पहले रखे गये थे। फिर रूमाल कसकर बाँध दिया गया था। उसके बाट आठ पट खादी का कपड़ा बांधा गया । अर्थात् पट्टी में किसी कमी की गुजाइश नहीं रहने दी गयी। फिर भी वह अलमारी में रखी हुई, जमीन की, पानी की, और सैकड़ो मील दूर की वस्तु बता सके । इससे हमे इत्मीनान हो जाता है कि आत्मा मे चाहे जितनी दूर रखी हुई वस्तु जानने-देखने की शक्ति मौजूद है। कुछ दिन हुए साप्ताहिक बम्बई-समाचार मे श्री गिरीशचन्द्र वनवासी ने 'मानव भूत, भविष्यत् और वर्तमान को जान सकता है' शीर्षक लेख ___* पॉल अन्टन पी० एच० डी० एक महान् लेखक है । उसने दुनिया के अनेक भागों की सोज करके अध्यात्म विद्या पर पुस्तकें लिसी है। उसने 'A search in Secret Egypt' गुप्त मिश्र देश की खोज-नामक अति प्रसिद्ध पुस्तक में हिप्नोटिज्म के अद्भुत प्रयोग करके बतानेवाले मोंशियर ऐडवर्ड ऐडिज का जो वर्णन किया है ( पृष्ठ १७ से ), वह इस विषय में प्रमाण रूप है। श्रावृत्ति १६, पृष्ठ १०० पर इस तरह लिखी गयी पंक्तियों का चित्र भी दिया है। + यह समारोह जैन-शिक्षावली की प्रथम श्रेणी के प्रकाशन के निमित्त नियोजित किया गया था।
SR No.010156
Book TitleAtmatattva Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakshmansuri
PublisherAtma Kamal Labdhisuri Gyanmandir
Publication Year1963
Total Pages819
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy