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________________ अपश्चिम तीर्थंकर महावीर प्रज्वलित कर उसकी भस्म बनाती हैं । फिर डाकिनी, शाकिनी आदि से रक्षा के लिए वे पोटलियां तीर्थंकर भगवान् एवं उनकी माता के गले में बांधती हैं। तीर्थंकर भगवान् के कर्णमूलों को बजाकर आशीर्वाद प्रदान करती हैं। आप दीर्घायु बनें । निशीथिनी का वह शांत - प्रशान्त समय ! सौधर्मपति इन्द्र - शक्रेन्द्र उस मनमोहक समय में सौधर्मवितंसक विमान में अपनी श्रेष्ठ सुधर्म सभा में विराजमान् हैं। सभा - सुधर्मा की छटा देखते ही बनती है। उसका भूमि-भाग स्वर्ण परिमण्डित है, जिसमें रत्न और मणियों की कारीगरी नयनाभिराम बनी हुई है। वैडूर्यमणियों से निर्मित सैकड़ों स्तम्भ, जिन पर बनी पुतलिकाओं की छवियां बरबस ध्यान आकृष्ट कर लेती हैं। भित्तियों पर बने वृषभ, मृग, हस्ति, अश्व, पद्मलता, वनलतादि के चित्र मानो वन - विहार का स्मरण करा देते हैं। द्वार भागों पर लटकते हुए चन्दन के कलश अपनी आभा से आने वाले का मन मुग्ध कर देते हैं। पंचवर्ण के सुगन्धित सुमनों की सौरभ से वहां का वातावरण महक उठा है। लोबान, अगरु, तुरुष्क और चन्दनादि की भीनी-भीनी खुशबू से घ्राणेन्द्रिय जाग्रत बन जाती है। अनेक वाद्ययंत्रों की मधुर ध्वनि, अप्सराओं के सजीव नृत्य को दृष्टिगत कर सौधर्मेन्द्र उन्हीं में तल्लीन बने हुए हैं। बत्तीस लाख विमानों, चौरासी हजार सामानिक देवों, तेंतीस त्रायस्त्रिंशक देवों, चार लोकपालों, सात सेनापति देवों, तीन लाख छत्तीस हजार अंगरक्षक देवों एवं सौधर्म कल्पवासी अन्य बहुत-से देव - देवियों का आधिपत्य अग्रेसरत्व स्वाभाविक करते हुए दिव्य सुखों का भोगोपभोग कर रहे हैं । " देवेन्द्र शक्र ने चितंन कम्पायमान सहसा आसन परिकम्पित होता है। किया। आसन हो रहा है। क्या बात है ? अवधिज्ञान का प्रयोग करता हूं। देखा अवधिज्ञान से । अहो ! जम्बू द्वीप के भरत क्षेत्र में क्षत्रियकुण्ड में चरम तीर्थंकर भगवान् महावीर का जन्म हुआ है। अच्छा! यों सोचकर सिंहासन से उठे, पादपीठ से नीचे उतरे, पादुकाएं उतारीं। अखण्ड वस्त्र का उत्तरासन कर नमोत्थुणं की मुद्रा में उच्चारण किया - णमोत्थुणं...........संपाविउक माणनमोजिणाणं जिअभयाणं । ........ - 34
SR No.010152
Book TitleApaschim Tirthankar Mahavira Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAkhil Bharat Varshiya Sadhumargi Jain Sangh Bikaner
PublisherAkhil Bharat Varshiya Sadhumargi Jain Sangh
Publication Year2005
Total Pages259
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Story
File Size10 MB
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