SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 24
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अपश्चिम तीर्थंकर महावीर - 16 रहे थे। श्रेणिक, प्रसेनजित, चण्डप्रद्योत और वत्सराज उदयन उस समय के शक्तिशाली शासक थे और ये राज्य–विस्तार में संलग्न थे। इस प्रकार राजतंत्र अपने विकास की ओर अग्रसर था। इधर वज्जि आठ राज्यों का संघ था जिसमें लिच्छवी, विदेह और ज्ञातृक प्रमुख थे। यह उत्तर बिहार में था। यहां गणतांत्रिक शासन प्रणाली थी। वैशाली इसकी राजधानी था। वज्जि शासन में प्रत्येक ग्राम का प्रमुख राजा होता था। राज्य के सामूहिक कार्यों का विचार एक परिषद् द्वारा होता था जिसके वे सभी सदस्य होते थे। वैशाली में लिच्छवी गणराज्य स्थापित था जिसके सदस्यों की संख्या सात हजार सात सौ सात थी। इनकी प्रतिनिधि सभा को संथागार कहते थे। यही राज्य की व्यवस्थापिका सभा हुआ करती थी। संघ की शासन सम्बन्धी व्यवस्थाएं इस प्रकार थीं : वज्जिसंघ की अनेक सभाएं थी, जिनके अधिवेशन प्रायः हुआ करते थे। वज्जिसंघ के लोग आपस में राज्यकार्य संभालते थे। वे एक होकर बैठक करते और संघ की उन्नति के लिए प्रयास करते। ये संघ के परम्परागत नियमों और व्यवहारों के पालन में सावधान रहते थे और संघ द्वारा प्रतिपादित एवं बनाई गई व्यवस्थाओं का अनुसरण करते थे। इनका शासन वृद्धों के हाथ में था, जिनका ये लोग आदर करते थे। उनकी बातों को ध्यानपूर्वक श्रवण कर समझने का प्रयास करते थे। इस प्रकार वज्जिसंघ सर्वाधिक शक्तिशाली संघ था। इसमें विदेह, ज्ञातृक, वज्जि, उग्र, भोग, कौरव और इक्ष्वाकु ये आठ कुल सम्मिलित थे। वज्जि कुल के आधार पर वज्जिसंघ का नाम पड़ा। वज्जिसंघ के सदस्य राजा-गणपति कहलाते थे। इसमें सात हजार सात सौ सात राजा थे। इतने ही अध्यक्ष, सेनापति और इतने ही भाण्डागारिक थे। मुख्य कार्य अष्टकुलों और नौ लिच्छवि गणराज्यों द्वारा सम्पन्न होता था। नौ लिच्छवि और मल्ली, इस प्रकार अठारह काशी-कौशल गणराजाओं ने मिलकर एक संघ बनाया। NA MENT
SR No.010152
Book TitleApaschim Tirthankar Mahavira Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAkhil Bharat Varshiya Sadhumargi Jain Sangh Bikaner
PublisherAkhil Bharat Varshiya Sadhumargi Jain Sangh
Publication Year2005
Total Pages259
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Story
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy