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________________ अपश्चिम तीर्थकर महावीर - 219 आते हैं। चमरेन्द्र द्वारा ऐसा कहे जाने पर सभी तैयार हुए और भगवान महावीर के पास आये। चमरेन्द्र ने सपरिवार प्रभु को विधिवत वन्दन-नमस्कार किया। नृत्य-संगीत आदि कार्यक्रम संपन्न कर चमरेन्द्र सपरिवार चमरचंचा लौट गये। चमरेन्द्र चला गया और प्रभु अपने कायोत्सर्ग में लीन हैं। प्रातःकाल होने पर प्रभु एक रात्रि की प्रतिमा को पालकर विहार करते हुए क्रमशः भोगपुर नगर पधारे। वहां माहेन्द्र नामक एक क्षत्रिय रहता था। उसने ज्योंही प्रभु को अपने नगर में आता हुआ देखा तो उस दुर्मति ने प्रभु को खजूर की लाठी से मारना प्रारम्भ किया। उसी समय बहुत समय पश्चात् प्रभु के दर्शन करने की इच्छा से तीसरे देवलोक के इन्द्र सनत्कुमारेन्द्र प्रभु को वन्दन करने के लिए आये। जब उन्होंने उस दुष्ट को प्रभु पर उपद्रव करते देखा तो उसका तिरस्कार किया, भक्तिपूर्वक प्रभु को वन्दन किया और विहार की सुख-साता पूछकर लौट गया। प्रभु वहां से विहार कर नन्दीग्राम पधारे। वहां राजा सिद्धार्थ का मित्र 'नन्दी' रहता था। वह भगवान् को पहिचान गया और उसने भक्तिपूर्वक भगवान की पर्युपासना की। प्रभु वहां से विहार कर मेढ़क ग्राम पधारे। वहां एक ग्वाला बालों की डोरी लेकर प्रभु को मारने दौड़ा। शक्रेन्द्र अवधिज्ञान का उपयोग लगाकर प्रभु को देख रहे थे। जैसे ही देखा कि ग्वाला प्रभु को मार रहा है, तुरन्त वहां से आये और ग्वाले से कहा- अरे मूर्ख, ये त्रिलोकीनाथ, जगत्पूज्य महावीर भगवान् है। तूं कितना अनर्थ कर रहा है। यों कहकर ग्वाले का उपसर्ग मिटाया और भक्तिपूर्वक वन्दन-नमस्कार कर शक्रेन्द्र लौट गया | वहां से विहार करके प्रभु कोशाम्बी पधारे। कोशाम्बी में महापराक्रमी, प्रबल शत्रुदमन करने वाला, विशाल सैन्य समूह वाला शतानीक राजा राज्य करता था। राजा शतानीक की महारानी मृगावती तीर्थकर भगवान के प्रति अनन्य श्रद्धावान श्रेष्ठ श्राविका थी। राजा शतानीक का मंत्री था सुगुप्त, जिसकी नन्दा नामक पत्नी थी। वह नंदा, श्राविका मृगावती महारानी की सहेली थी। उसी नगर में धनवाह नामक एक सेठ रहता था। गृहकार्य में प्रवीण उसकी मूला नामक पत्नी सार्थकर भगक्षा मन्त्री था महारानी की स
SR No.010152
Book TitleApaschim Tirthankar Mahavira Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAkhil Bharat Varshiya Sadhumargi Jain Sangh Bikaner
PublisherAkhil Bharat Varshiya Sadhumargi Jain Sangh
Publication Year2005
Total Pages259
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Story
File Size10 MB
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