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________________ 4. अपश्चिम तीर्थंकर महावीर पृ. 286 (ख) आवश्यक चूर्णि, मलयगिरि, त्रिषष्टि श्लाका पु. चारित्र एवं जैन धर्म का मौलिक इतिहास एवं तीर्थकर चारित्र भाग 2 ( बालचन्दजी श्रीश्रीमाल ) में वर्णन मिलता है कि जब वैश्यायन बालतपस्वी ने गोशालक पर लेश्या छोड़ी तो वह तेजोलेश्या के भय से भयभीत बनकर भगवान् के पास आया लेकिन यह बात भगवती से मेल नहीं खाती। भगवती सूत्र में ऐसा उल्लेख नहीं मिलता कि गोशालक पर जब वैश्यायन बालतपस्वी ने तेजोलेश्या छोड़ी तब वह भयभीत हुआ एवं तदुपरान्त प्रभु ने उसकी रक्षा की। भगवती सूत्र का मूल पाठ इस प्रकार है :तए णं से वेसियायणे वालतवस्सी गोसालेणं मंखलिपुत्तेणं दोच्चंपि तच्चपि एवं वृत्ते समाणे आसुरते जाव मिस - मिस माणे आयावण भूमिओ पच्चोसक्कइ पच्चोसक्कइत्ता तेयासमुग्धाएणं संमोहणइ संमोहणइत्ता सत्तट्ट पयाइं पच्चोसक्कइ पच्चोसक्कइत्ता गोसालरस मंखलिपुत्तस्स वहाए सरीरगं तेयलेस्सं निस्सरई । तए णं अहं गोयमा ! गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स अणुकम्पणट्टाए वेसियायणस्स वालतवस्सिससा उसिणतेयलेस्सा पडिसाहरणट्टाए एत्थणं अंतरा सीयलीयं तेयलेरसं निस्सरामि । 188 भगवती 15-1 आवश्यक चूर्णि में भी ऐसा उल्लेख नहीं मिलता कि जब वैश्यायन वालतपस्वी ने गोशालक पर तेजोलेश्या छोड़ी तव वह भयभीत नहीं हुआ, अपितु ऐसा उल्लेख मिलता है कि जब भगवान ने शीतल से तेजोलेश्या का प्रतिकार किया और वैश्यायन वालतपस्वी ने प्रभु से क्षमायाचना की तव गोशालक ने प्रभु से सारी जानकारी करी और फिर भयभीत हुआ। वहां का मूल पाठ इस प्रकार है :ताहे सामिणा तस्स अणुकंपट्टाए वेसियायणस्स उसिणतंयपडिसाहरणट्टाए एत्थंतरा सीतलिता लेस्सा णिसिरिया सा जंबूदीव बाहिरओ वेढेति उसण तेयलेस्सा, भगवतो सीतलिता तेयल्लेस्सा अवांतरओ वेळेति, इतरा तं परिचयंति सा तत्थेव सीतलाए विज्झविता, हे सो भगवती लद्धिं पासिता भणति से गतमेतं भगवं! गतमेतं भगवा में जानामि जहा तुटतं सीसो, खमह, ताहे गोसाली कि एस जयाज्जाव पलवति? सामिणो कहित जम पाणी पुछ भगवी कि संखितेयस्सो नवति
SR No.010152
Book TitleApaschim Tirthankar Mahavira Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAkhil Bharat Varshiya Sadhumargi Jain Sangh Bikaner
PublisherAkhil Bharat Varshiya Sadhumargi Jain Sangh
Publication Year2005
Total Pages259
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Story
File Size10 MB
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