SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 19
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अपश्चिम तीर्थंकर महावीर - 11 फल शुभ मिलता है। यदि पहले शुभ स्वप्न देखा, पश्चात् अशुभ देखा तो फल अशुभ मिलता है" | इस प्रकार स्वप्नशास्त्र में विविध बातों का उल्लेख है जो भविष्य का सूचन करती हैं। महारानी त्रिशला ने जो चौदह स्वप्न देखे, वे तीर्थंकर भगवान् के भावी जीवन का सूचन करते हैं। उन चौदह स्वप्नों के फल जानने की जिज्ञासा से गणधर गौतम ने भगवान् महावीर से पूछा- भंते! तीर्थंकर भगवान् की माता जो चौदह स्वप्न देखती है, उनका क्या फल होगा? भगवान् ने फरमाया- गौतम! - (1) प्रथम स्वप्न में तीर्थंकर भगवान् की माता हस्ती को मुख में प्रवेश करती हुई देखती है। इसका तात्पर्य यह है कि जैसे हस्ती युद्ध में सेना को पराजित कर देता है वैसे ही कर्म-युद्ध में तीर्थंकर भगवान् कर्मशत्रुओं को पराजित करेंगे। वृषभ जैसे भार ढोने में समर्थ होता है, वैसे ही भगवान् संयम के भार को वहन करने में सक्षम होंगे। सिंह के पराक्रम को देखकर अन्य प्राणी भयभीत होकर उसके समीप नहीं आते, वैसे ही तीर्थंकर भगवान् के अतिशय को देखकर पाखण्डी दूर से भाग जायेंगे। लक्ष्मी के आगमन का तात्पर्य केवलज्ञानरूप लक्ष्मी को वरण करेंगे। जैसे पुष्पमाला दसों दिशाओं को अपनी सुगन्ध से व्याप्त करती है, वैसे ही तीर्थंकर भगवान् की यश-कीर्ति दिग्-दिगन्त में व्याप्त होगी। चन्द्र की शीतल चाँदनी आनन्द प्रदायक है, वैसे ही तीर्थंकर भगवान् अन्य जीवों के आनन्द प्रदायक होंगे। जैसे तेजस्वी सूर्य आलोक से युक्त है, वैसे ही तीर्थंकर देव तपस्तेज आलोक से युक्त होंगे। महेन्द्र ध्वजा को देखने से भगवान के ऊपर तीन छत्र होंगे। परिपूर्ण कुम्भ कलश को देखने से भगवान् गुणों से परिपूर्ण होंगे। (10) पक्षीसमूह-सेवित पदमसरोवर देखने से तीर्थंकर भगवान् चारों
SR No.010152
Book TitleApaschim Tirthankar Mahavira Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAkhil Bharat Varshiya Sadhumargi Jain Sangh Bikaner
PublisherAkhil Bharat Varshiya Sadhumargi Jain Sangh
Publication Year2005
Total Pages259
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Story
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy