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________________ ६४ का पुजारी है। लेकिन मनोवल के अभाव के कारण वह अहिमक “वर्ताव को अपने जीवन मे स्थान नहीं दे सकता । फिर भी अच्छे विचारो की सहायता से, वह अपने आचरण के प्रति पूरा जागृत रह सकेगा। और यदि वह हिसा करेगा तो इसका उसके हृदय को दुख तो अवश्य होगा। ___अव एक और वात ले। जब हम अच्छे विचार और अच्छे वर्ताव की बाते करते है तब उस 'अच्छे' शब्द का अर्थ क्या है ? हमे जो अच्छा लगे वह ? नही, हमारी वृत्तियो को सन्तोप प्राप्त हो और इन्द्रियो को आनन्द मिले ऐसे सभी कार्य हमे अच्छे लगेगे ही, यह बात सभी समझ सकते है । हमे जो कुछ भी अच्छा महसूस हो उस सव का आचरण करना यदि शुरू कर दे तो उसके फल स्वरूप दुख के गर्त में ही गिरने का समय प्रोवेगा। __यहाँ पर हमे इस निर्णय पर पाना होगा कि 'अच्छा' माने 'सत्य' लेकिन फिर एक प्रश्न उठेगा कि 'सत्य किसे कहे' 'यह मत्य' क्या है उसका निर्णय करने की जिम्मेदारी यदि हम अपने कन्धो पर ले ले तो फलस्वरूप हम उलझन मे फंस जाएँगे । क्यो के हमारी स्वार्थ वृत्तियाँ और अधूरी समझ तथा सीमित बुद्धि फिर एक बार हमारे मार्ग मे वाधा रूप सिद्ध होगी। . इसलिये यहाँ पर, तत्त्वज्ञान की आवश्यकता का प्रश्न उपस्थित होता है । किसी एक सुनिश्चित तत्त्वज्ञान का आश्रय लेने की आवश्यकता और उपयोगिता अब हमारी समझ मे आये विना नहीं रह सकती।
SR No.010147
Book TitleAnekant va Syadvada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandulal C Shah
PublisherJain Marg Aradhak Samiti Belgaon
Publication Year1963
Total Pages437
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Philosophy
File Size13 MB
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