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________________ धर्म और तत्त्वज्ञान 'धर्म क्या है ' तत्त्वज्ञान क्या है ? अिन दोनो के बीच क्या कुछ भेद है ? और यदि हे तो कौन-सा है ? अिन दोनो को उत्पत्ति कहाँ से हुई ? कब हुई ? इन दोनो का मनुष्यजाति पर कैसा और कितना प्रभाव पडा है ? इन दोनो के वोच क्या सम्बन्ध है ? दोनो एक दूसरे पर आधारित है या स्वतत्र है ? जब हम धर्म और तत्त्वज्ञान के बारे मे सोच विचार करेगे तब हमारे मन मे उपरोक्त प्रश्न अवश्य उपस्थित होगे। सबसे पहले हम उसकी एक साधारण व्याख्या कर ले । धर्म आचार वताता है और तत्वज्ञान का विचारो के साथ सम्बन्ध है। फिर भी ये दोनो परस्पर सबधित हैं । इन दोनो का महत्व एक समान है। धर्म और तत्त्वज्ञान की इतनी सक्षिप्त व्याख्या कर के अब हम आगे बढे । ग्रिम बात को तो सभी लोग स्वीकार करेंगे कि अच्छे विचार विना अच्छे प्राचार (वर्ताव अथवा आचरण) सभव नहो । उसी तरह अच्छे आचरण के विना अच्छे विचारो का मन मे उठना असभव ही है। सिमे, सबसे पहले हम वर्ताव पर ही विचार करगे मनुष्य का वर्ताव हमेशा किसी विचार द्वारा हो
SR No.010147
Book TitleAnekant va Syadvada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandulal C Shah
PublisherJain Marg Aradhak Samiti Belgaon
Publication Year1963
Total Pages437
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Philosophy
File Size13 MB
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