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________________ २६ वाले वर्ग मे भी उतने ही हठी और कट्टर मतमतातर है । स्वामी रामकृष्ण परमहस, श्रीरमणमहर्षि, श्री अरविद घोप, नित्यानन्द स्वामी, स्वामी रामदास और ऐसे दूसरे अनेक महापुरुषो के शिक्षित अनुयायियो से अलग-अलग भेट करने पर पता चलेगा कि भिन्न-भिन्न सिद्धान्तो को मानने वाले ये लोग " सत्य उनकी अपनी जेब मे है, और कही नही" ऐसी बात बडी कट्टरता से और दृढता से मानते हुए प्रतीत होगे, लोग इस तरह मानते है इतना काफी नही 'अन्य लोगो को भी उनकी मान्यता को स्वीकार करना चाहिये और स्वीकार लेने के बाद कही उनका उद्धार होगा अन्यथा नरक की खाई मे ही उन्हें गिरना होगा' ऐसी बात ये सभी लोग कहा करते है । 'आगरे के किले मे से दिखते हुए ताजमहल के बारे मे किसी फारसी कवि ने लिखा है " इस धरती पर यदि वह यही है, यही है, यही है आज चारो ओर इस काव्य की सी बात प्रतीत होती है । आध्यात्मिक विषय मे दिलचस्पी रखने वाले किसी भी सज्जन से आप मिले, अधिकतर लोग जिस मत के अनुयायी होगे उसीकी प्रशसा करना शुरू कर देगे । कही स्वर्ग हो तो अगर फिरदौस वर रुए जमीनस्त, इमीनस्तो इमीनस्तो इमीनस्त वास्तव में यह शेर काश्मीर के विषय मे कहा गया है । 1 - प्रकाशक
SR No.010147
Book TitleAnekant va Syadvada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandulal C Shah
PublisherJain Marg Aradhak Samiti Belgaon
Publication Year1963
Total Pages437
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Philosophy
File Size13 MB
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