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________________ पाँचज्ञान प्राथमिक भूमिका पर यह एक विवादास्पद प्रश्न है कि ज्ञान किसे कहा जाय ? ज्ञान पिपासा ज्ञान प्राप्त करने की पिपासा-जिनासा, उसके लिए की जाने वाली खोज और परिश्रम आदि आज के युग मे एक सामान्य प्रश्न वन गया है। ___ लोग व्याख्यान सुनते है, पुस्तके पढते हैं, और चर्चामत्ररणा भी करते हैं। इस भौतिक जगत मे ज्ञान प्राप्त करने की तीव्र इच्छा मुख्यत सुख प्राप्ति के हेतु से उद्भूत दिखाई देती है। तरह तरह के और भॉति भॉति के विपयो के बारे मे नया नया जान प्राप्त करने की तीव्र अभिलापा ने बाज मानवमन पर अधिकार जमा लिया मालूम होता है। यह एक शुभ चिह्न है। “ परन्तु हम जिस वस्तु की प्राप्ति के लिए परिश्रम करे उसके यथार्थ स्वरूप को ही न जानते हो तो हमे क्या मिलेगा ? जो मिला सो जिसे हम खोजते थे वही है या और कुछ, यह किस तरह निश्चित किया जा सकता है। जैन तत्त्ववेत्तानो ने मोक्ष ( मुक्ति ) प्राप्त करने के लिए एक सूत्र दिया है,--ज्ञानक्रियाभ्या मोक्षः। इसका अर्थ है- ज्ञान और क्रिया के द्वारा ही मोक्ष प्राप्त हो सकता है।' यहाँ ज्ञान और क्रिया को एकत्र करके अधिक स्पष्ट अर्थ भो निकाला जा सकता है कि 'ज्ञानपूर्वक क्रिया करने से मोक्ष प्राप्त किया जा सकता है।' इस वाक्य मे 'मोक्ष' शब्द के स्थान पर हम प्राप्त करने
SR No.010147
Book TitleAnekant va Syadvada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandulal C Shah
PublisherJain Marg Aradhak Samiti Belgaon
Publication Year1963
Total Pages437
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Philosophy
File Size13 MB
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