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________________ दिन वह विकसित होते हुए पूर्णता के निकट अवश्य आ पहुँचेगी। लेकिन वहाँ तक पहुँच पाने के लिये बुद्धि द्वारा जो ग्राह्य नही, उसके सामने रोप प्रकट करने के बजाय उसका इन्कार करने के बजाय, यदि श्रद्धा का आश्रय ले तो वह मार्ग उचित समझा जायगा। "अव आपकी बात मेरी समझ मे कुछ आ रही है।" उसने कहा। "जो कुछ भी हमारी समझ में आता है, हम अपनो नजरो के सामने जो कुछ भी देख रहे है उसको स्वीकार कर लेने मे भी खतरा है। क्योकि उस समझ या दृश्य की फिर एक बार सत्य के वजाय किसी आभास पर रचना हुई हो यह भी बात असम्भव नही अर्थात् जो कुछ भी हमारी समझ मे आता हो उसका प्रमाण दू ढने के लिये सर्वज्ञ भगवन्तो के कथन का सहारा लेना और जो हमारी समझ में नहीं आता उसके लिये 'यह मेरी समझ मे नही आता' इस बात को स्वीकार कर लेना यह अधिक सुरक्षित मार्ग है । ऐसा करने के वजाय चूकि यह बुद्धिग्राह्य नही इसलिये वह गलत है, विज्ञान ने उस पर अपनी मुहर नहीं लगायी इसलिये वह निरर्थक है-इस तरह कहना उचित नहीं समझा जाता।" मैंने कहा। "आपने तो आध्यात्मिक क्षेत्र से सम्बन्धित वाते बतायी, जवकि आज का विज्ञान भौतिक विषय पर ही प्रयोग कर रहा है। ये दोनो बाते आप एक मे मिला दे (Mixed up)
SR No.010147
Book TitleAnekant va Syadvada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandulal C Shah
PublisherJain Marg Aradhak Samiti Belgaon
Publication Year1963
Total Pages437
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Philosophy
File Size13 MB
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