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________________ २२१ हम शराव वन्दी-विभाग के अधिकारी से पूछेगे तो वह कहेगा, "शराव उपयोगी नही है।" __शराव का नियमित उपयोग करने वाले से पूछे तो वह कहेगा कि शराब उपयोगी है। ____ डाक्टर से पूछे तो उत्तर मिलेगा, "शराव उपयोगी है और नही है।" यदि डाक्टर से हम फिर पूछे तो वह स्पष्टीकरण करेगा कि औषधि के रूप मे शराब उपयोगी हे और पीने की आदत के तौर पर उपयोगी नहीं है क्योकि हानिकारक है। । ये तीनो मन्तव्य भिन्न भिन्न अपेक्षायो पर आधारित है। फिर ये तीनो स्वतन्त्र मन्तव्य है। बात समझ मे आ गई न ?, और अच्छी तरह से समझने के लिए हम कहेगे कि प्रथम भग मे हमे श्री 'स्वचतुष्टय' की ओर से एक निश्चित उत्तर मिला । दूसरे भग मे हमे श्री 'परचतुष्टय' की ओर से दूसरा निश्चित उत्तर मिला । अन्त मे इस तीसरे भग मे 'स्वचतुष्टय परचतुष्टय एण्ड कम्पनी' की ओर से तीसरी निश्चित राय मिली। हम हीरे का 'दृष्टान्त ले । एक हीरा 'आसमानी झाई वाला सफेद' (Blush White)है और दूसरा लाल झाई वाला सफेद (Reddish White) है । इन दोनो के क्रमश 'आसमानी और सफेद' तथा 'लाल और सफेद' ये दोनो रग होते हुए भी प्रत्येक के लिए एक तीसरा निश्चित शब्द प्रयुक्त होता है और उससे पहले के वनिस्वत तीसरी ही वस्तु का बोध होता है । उसी तरह यह 'है और नहीं है' भी (१) 'है' तथा (२) 'नही है'-इन दोनो से अलग तीसरी ही बात हमे केह जाता है।
SR No.010147
Book TitleAnekant va Syadvada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandulal C Shah
PublisherJain Marg Aradhak Samiti Belgaon
Publication Year1963
Total Pages437
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Philosophy
File Size13 MB
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