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________________ सप्तभंगी अब हम इस सप्त भगी के जिन सात भगो की जानकारी प्राप्त करेगे उन्हे हम यहां एक ही वस्तु को सात भिन्न भिन्न रीतियो से जाँचने की कमीटी Test के तौर पर मान सकते है। सुवर्ण को परखने के लिए उसकी कसौटी करने का एक पत्थर होता है, जिसे स्वर्णकार 'कमीटी' के नाम से पहचानता है। वस्तु को पहचानने, परखने और समझने के लिए जैन शास्त्रकारो ने 'सप्तभंगी' नामक मात 'कसौटी मिद्ध निर्णययन्त्र' वनाये है-Seven formulas for testing -- निर्णय करने के लिए सात विधियाँ । ___पहले मनुष्य को कुछ भी जानने की इच्छा ( जिज्ञासा) होती है। जिनासा का वीज है सशय । सराय सात प्रकार के होते है, अतः जिज्ञासा के भी सात प्रकार हुए । सशय अर्थात् एक प्रकार का प्रश्न और जिनासा अर्थात् उसका उत्तर प्राप्त करने की क्रिया। मशय सात तो उनके उत्तर भी सात । आठवे प्रकार का सशय अभी तक कोई खोज नही सका है। हम अपना घर बन्द कर, ताला लगा कर यात्रा करने के लिए सपरिवार दूसरे गाँव गये हैं। वहाँ समाचार मिलते है कि हमारे गांव मे चोरो का उपद्रव शुरु हुअा है । यह समाचार मिलते ही हम कुछ अस्वस्थता अनुभव करेगे, और हमारे मन मे अपने घर की सुरक्षितता के विषय मे सगय पैदा होगा। इस समय के सात प्रकारो की हम जांच करे: १) क्या मेरे घर में चोरी हुई है ? २) क्या चोरी नहीं हुई ?
SR No.010147
Book TitleAnekant va Syadvada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandulal C Shah
PublisherJain Marg Aradhak Samiti Belgaon
Publication Year1963
Total Pages437
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Philosophy
File Size13 MB
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