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________________ १६८ के साथ इसका सवध होने के कारण वस्तु या पदार्थ के साथ के इसके सम्बन्ध को 'विपय'-विषयो भाव' कहते हैं। निक्षेप 'अर्थात्मक' है। एक ही शब्द का वाच्य अमुक अर्थ मे 'नाम' है, अमुक अर्थ मे 'प्राकृति' है, अमुक अर्थ मे 'दल' है, और अमुक अर्थ मे 'भाव' है, यह वात हमे निक्षेप' से समझ मे आती है । यहाँ हमने गब्द और अर्थ का जैसा परस्पर सम्बन्ध जोडा, वैसा सम्बन्ध नय और निक्षेप के बीच भी है । नय और निक्षेप के वीच के सम्बन्ध को 'ज्ञेय ज्ञापक' सम्बन्ध कहते है। यह सबध तथा उसकी क्रिया नय के द्वारा जानी जा सकती है अत निक्षेप भी नय का ही विपय है। _____नयविषयक इस विवेचना मे हमने 'नय' शब्द का अर्थ समझा, उसके उपयोग के विपय मे सामान्य जानकारी भी प्राप्त की, और साथ ही उसका जिनसे सम्बन्ध है उन-प्रमाण और निक्षेप–के विपय मे भी सक्षिप्त जानकारी प्राप्त करली है। अब हम 'सात नय' का क्रमश परिचय प्राप्त करेगे ।
SR No.010147
Book TitleAnekant va Syadvada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandulal C Shah
PublisherJain Marg Aradhak Samiti Belgaon
Publication Year1963
Total Pages437
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Philosophy
File Size13 MB
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