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________________ १६६ निक्षेप के अन्तर्गत है, उसी तरह यहाँ स्थापनानिक्षेप मे - 'प्राकृति और व्यक्ति' दोनो स्थापना निक्षेप के अन्तर्गत है । द्रव्य निक्षेप भूतकाल तथा भविष्यकाल से सम्बन्धित विवक्षित वस्तु या व्यक्ति के मूल स्वरूप का उस नाम से वर्तमान काल मे उल्लेख करना 'द्रव्य निक्षेप' कहलाता है । उदाहरणत भारतवर्ष को स्वतन्त्रता मिलने के बाद, ब्रिटिश शासन काल की सभी देशी रियासतो का भारतीय सघ मे ऐकीकरण कर दिया गया । इन सव राज्यों के जो राजा थे, वे अव राजा नही रहे । वास्तव मे राजा मिट चुके हुए फिर भी, इन महानुभावो को ग्राज वर्तमान काल मे भी 'अमुक अमुक राज्य के राजा' रूप में पहचाना या पुकारा जाता है । 'राजा' शब्द उनके भूतकाल का सूचक होते हुए भी, व्यवहार मे हम उन्हे 'राजा' कहते हैं | इसे 'द्रव्य निक्षेप' समझिये | इसी तरह, भविष्य मे किसी व्यक्ति को लाख रुपये की विरासत मिलने वाली हो तो वर्तमान मे भी हम उसके लिए 'लखपति - 'लक्षाधिपति' शब्द का प्रयोग करते है । इस वक्त ऐसा ट्रस्ट मौजूद है, जिसके अनुसार ग्रमुक उम्र में उसे लाख रुपये मिलेगे । परन्तु ग्राज उसके पास लाख रुपये नही है । फिर भी व्यवहार मे उसे 'लखपति' कहा जाता है । यह 'द्रव्य निक्षेप' का प्रयोग है | इस तरह ग्रव स्पष्टतया समझ मे आ जाना चाहिए कि जब हम किसी वस्तु या व्यक्ति के विषय में, उसके भूतकाल या भविष्यकाल को ध्यान मे रखकर वर्तमान में किसी शब्द का श्रारोपण करते हैं तब वह 'द्रव्य निक्षेप' होता है । भाव निक्षेप : किसी भी वस्तु या व्यक्ति को उसकी .
SR No.010147
Book TitleAnekant va Syadvada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandulal C Shah
PublisherJain Marg Aradhak Samiti Belgaon
Publication Year1963
Total Pages437
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Philosophy
File Size13 MB
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