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________________ ११६ वस्तु १ तलवार का मूल द्रव्य २ टेवल का मूल द्रव्य - द्रव्य ३ चगूठी का मूल ४ रोटी का मूल ५. चप्पल का मूल द्रव्य द्रव्य चमडा इस प्रकार जब द्रव्य की अपेक्षा मे विचार करना हो तब - www उसका द्रव्य लोहा लकडी मोना गेहू ऊपर कहे मुताबिक खयाल हमे जरूर खाएगा । दूसरा श्राधार हे क्षेत्र । 'क्षेत्र' शब्द का अर्थ है द्रव्यों के रहने का स्थान । अग्रेजी मे इसे ( Place ) या (Space) कहते है । क्षेत्र विपयक सामान्य ज्ञान तथा तात्त्विक ज्ञान मे थोडा ना अन्तर है । जो वस्तु जहा ग्रथवा जिसके आधार में पडी हो उस स्थल को हम सामान्य बुद्धि से क्षेत्र मान लेते हैं । परन्तु इस बात को यदि पूर्णतया समझना हो तो वस्तु के आधार को हम 'क्षेत्र' नही मान सकते । उदाहरणार्थ- पतीली मे दूध भरा हुआ है, सामान्यतया ऐसा समझा जाएगा कि दूध के रहने का क्षेत्र (स्थल) पतीली है । व्यावहारिक दृष्टि से ऐसा मानने में कोई हर्ज नहीं है । परन्तु 'क्षेत्र की अपेक्षा' विषयक बात को हम बराबर समझना चाहे तो इस प्रकार की मान्यता से हमे धोखा होगा । पतीली मे दूध के रहने का जो स्थान है वह पतीली से लग है । इस पतीली को यदि पगाडी पर या अलमारी मे रखे तो पतीली के रहने का स्थान - उसका क्षेत्र - अलमारी नही, परन्तु अलमारी मे वह पतीली जितना अवकाश घेरती है उतना ही पतीली का क्षेत्र है ।
SR No.010147
Book TitleAnekant va Syadvada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandulal C Shah
PublisherJain Marg Aradhak Samiti Belgaon
Publication Year1963
Total Pages437
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Philosophy
File Size13 MB
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