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________________ विदेशों में जैन धर्म 36 राजा प्रजा सब जैनी हैं। इस सारे क्षेत्र में अत्यधिक जैन मन्दिर, श्रावक-श्राविकायें, साधु-साध्वियां तथा जैन राजागण हैं। इस बात के विश्वसतीय प्रमाण मिलते हैं कि ऋषभ की पूजा मान्यता का मध्य एशिया मिश्र यूनान मे प्रचार फिनीशियनों द्वारा किया गया था। फिनीशियनों का भी भारत के साथ इतिहास के पूर्वकाल से ही सांस्कृतिक और व्यापारिक सम्पर्क था तथा उनके पूर्वज विश्व व्यापार के लिए भारत से समय-समय पर जाते हुए जैन धर्म भी अपने साथ लेकर गये थे। विदेशो मे ऋषभ भूमध्यसागरवासियों द्वारा अनेक नामों से जाने जाते थे, जैसे ऋषभ, रेसेभ, अपोलो, रेशव, वली तथा बैल भगवान । फिनीशियन लोग ऋषभ की यूनानियों के अपोलो के नाम से पूजा करते थे। रेसेभ से तात्पर्य नाभि और मरुदेवी का पुत्र स्वीकार किया गया है। आरमीनियन निवासियो के ऋषभदेव निःसन्देह जैनियो के प्रथम तीर्थकर ऋषभ ही थे। सीरिया का नगर राषाफा है। सोवियत अर्मीनिया मे शावनी नामका एक नगर था। बेबीलोन का नगर इसबेकजूर ऋषभ नगर का अपभ्रंश जान पडता है। फिनीशियनो के अतिरिक्त, अकेडिया, सुमेरिया और मेसोपोटामिया का भी सिन्धु नदी घाटी प्रदेश से सास्कृतिक और व्यापारिक सम्पर्क था और वहां के लोग ऋषभ का धर्म अपने देशों मे ले गए। इस बात के बहुत प्रमाण है कि यूनान और भारत मे समुद्री सम्पर्क था। यूनानी लेखको के अनुसार जब सिकन्दर भारत से यूनान लौटा था तब तक्षशिला के एक जैन मुनि कालीनोस या कल्याण विजय उसके साथ यूनान गये और अनेक वर्षो तक वे एथेन्स नगर मे रहे। उन्होने एथेन्स मे सल्लेखना ली। उनका समाधि स्थान एथेन्स मे पाया जाता है। यूनान के तत्वज्ञान पर जैन तत्वज्ञान का व्यापक प्रभाव है । महान यूनानी तत्वज्ञानी पीरो (पियों) ने जैन श्रमणो के पास रहकर तत्वज्ञान का अभ्यास किया था। तत्पश्चात् उसने अपने सिद्धान्तो का यूनान मे प्रचार किया था। पुराने यूनानियो को ऐसे श्रमण मिले थे जो जैन धर्मानुयायी थे । वे इथोपिया और एबीसीनिया में पहाड़ो और जंगलों में विहार करते थे और जैन आश्रम बनाकर रहते थे। विश्वविश्रुत भारतीय इतिहास मनीषी पंडित सुन्दर लाल जी ने भी इन दोनों देशों का इसी
SR No.010144
Book TitleVidesho me Jain Dharm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGokulprasad Jain
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year1997
Total Pages113
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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