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________________ में बैठा हुला ही महसूस करते है। सरस्वती भवन में सार्वजनिक सुविधाएं उपलब्ध कराकर इसे बहुउपयोगी बना दिया गया है। सरस्वती भवन के ऊपर (प्रथम तल पर) सुविधायुक्त 9 कमरों का ऐसा निर्माण किया गया है कि धाधु-संघ-शहां सविधा से ठहर सके । बीच में कुछ स्थान प्रवचन या भक्ति आदि के लिये खला भी छोड़ दिया गया है। इस तल का नाम 'गुरुछाया निवास है। इसका निर्माण परम पूज्य मुनिराज श्री 108 प्रमाणसागर जी महाराज के चातुर्मास (2004) के पूर्व पूर्ण हुआ और चातुर्मास काल में बाहर से आने वाले यात्रियों के निवास की यहाँ समुचित व्यवस्था होती रही। सरस्वती भवन के सामने एक छोटी सी दो मजिली बिल्डिंग का निर्माण सन् 85-86 में किया गया, इसमें चार कमरे है। मन्दिर प्रांगण के बाहर अहिंसा चौक पर स्थित धर्मशाला का पुनर्निर्माण वर्तमान में चल रहा है। पीलाल चौक (वर्तमान नाम अहिंसा-चौक) स्थित जैन समाज की भूमि पर सेठ गजाधरप्रसाद नत्थूलाल नागौद वालों के द्रव्य से इस धर्मशाला का निर्माण हुआ था। आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज द्वारा निरन्तर स्वाध्याय की प्रेरणा से समाधिमरण का एक क्रम सा सिधई जयकुमार अमरपाटन वालो की मातुश्री सोनाबाई जी की समाधि से चल पड़ा है। प. जगन्मोहनलाल जी के सुयोग्य सुपुत्र श्री सिद्धार्थकुमार जी प्रतिदिन सुबह समाज को स्वाध्याय कराते है। उनके मार्गदर्शन में अब तक कई समाधियों हो चुकी हैं । सिघई जयकुमार जी के परिवार ने मातुश्री की स्मृति को चिरजीवी करने के लिये समाधिकक्ष का निर्माण कराया है। मन्दिर जी की बाहिरी पश्चिमी दीवारो के पुनर्निर्माण एव सान्तिनाथ वेदिका के पुराने शिखर के ऊपर नवीन शिखर के निर्माण के उपरान्त इस पर नवीन कलश की स्थापना सिघई जयकुमार एवं परिवार द्वारा एव ध्वजा की स्थापना विजयकुमार (महावीर ज्वैलर्स) द्वारा वर्ष 2000 में की गई। जिनालय के पूर्वी द्वार के सामने दुलीचन्द भवन है। इसमे एक औषधालय सञ्चालित है । औषधालय की स्थापना वर्ष 1920 मे हुई थी। उस समय यह औषधालय भी दादू सेठ के मकान से सचालित होता था। बीच मे थोड़ी अवधि के लिए यह औषधालय बन्द रहा। अब इसका नाम श्री विद्यासागर पारमार्थिक औषधालय रख दिया गया है । आयुर्वेदिक तथा होम्योपैथिक दोनो प्रकार की चिकित्सा सुविधाएँ यहाँ उपलब्ध है। शिक्षा के प्रचार-प्रसार के लिये सतना की दिगम्बर जैन समाज द्वारा वर्ष 1920 मे ही जैन पाठशाला प्रारम्भ की गई थी। सतना की सर्वाधिक प्राचीन शिक्षण सस्थाओ में से यह एक है। शनैः शनैः विकास के क्रम में प्राथमिक फिर माध्यमिक और आज उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के रूप मे यह सस्था जनता की सेवा कर रही है। बाबू दुलीचन्द जी ने शाला सचालन हेतु अपना भवन समाज को दान में दिया था। वर्तमान मे यह विद्यालय कोलगवा मे निर्मित 'माता त्रिशला प्रसूतिकागृह' के भवन मे संचालित हो रहा है। इस विद्यालय के पूर्व छात्रों में श्री जगदीशशरण वर्मा, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस का पद सुशोभित कर चुके हैं। अन्य उल्लेखनीय छात्रों मे डॉ0 लालताप्रसाद खरे (पूर्व मत्री, म. प्र. शासन), श्री शिवानन्द जी (पूर्व विधानसभा अध्यक्ष, विध्यप्रदेश), श्री नेमिचन्द जैन (निवर्तमान चीफ इजीनियर, म. प्र. विद्युत मडल) के नाम उल्लेखनीय हैं। दिगम्बर जैन समाज की अन्य संपत्तियो मे चौक बाजार में स्थित जैन क्लब भवन है, इसमें प्रथम तल पर दुकानें किराये पर हैं, ऊपर सभागार है, जिसमें विभिन्न संस्थाओं के कार्यक्रम सपन्न होते है। स. सि. रामलाल नत्थूलाल जैन द्वारा मन्दिर जी को चौक बाजार में ही क्लब भवन के सामने एक भवन दान स्वरूप दिया गया था, जिसमे दो दुकाने हैं, जो किराये पर दी हुई हैं।
SR No.010142
Book TitleTattvartha Sutra Nikash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRakesh Jain, Nihalchand Jain
PublisherSakal Digambar Jain Sangh Satna
Publication Year5005
Total Pages332
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Tattvartha Sutra, Tattvartha Sutra, & Tattvarth
File Size20 MB
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