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________________ परिशिष्ट ខ្ញុំ៖ ८. बातूपरि व्यतिकम-दाता पड़गाह कर ले जावे और चौका घुटनोसे ऊपर अधिक ऊंचाई पर है, साधुको बिना सीढोके उतना ऊपर चढना पडे तो यह अन्तराय होता है । साधु लौट जाते हैं। ९. नाभ्यधो निर्गमन-साधुको चौकामे पहुँचनेके लिये इतनो छोटी खिड़कोसे जाना पडे कि एकदम झुकना हो तो यह नाभ्यधो निर्गमन नामका अन्तराय है। १. प्रत्याख्यात सेवना-साधुने जिस वस्तुका त्याग किया है यदि वह वस्तु आहारमें आ जाय तो प्रत्याख्यात सेवना नामका अन्तराय है. जैसे साधु नमक छोडे हुए है, दाता ने नमक वाला पदार्थ दे दिया, साधु को जब नमकका स्वाद आया तो अन्तराय मानकर शेष आहार छोड़ देते हैं। ११. जन्तु वध-चौकामे पहुंचने पर अपने द्वारा या दान देनेवाले अन्य व्यक्तिके द्वारा चिउटी आदि जीवोका वध हो जाय या नीचे रखे हुए बर्तनमे पडकर कोई मक्खी आदि मर जाय अथवा आहार करते समय यह शब्द सुननेमे आवे कि अमुक व्यक्तिका वध हो गया है तो यह जन्तु वध नामका अन्तराय है। १२ काकादि पिण्डहरण-वनमे आहार लेते समय कोई काक आदि पक्षी झपट कर साधुके पाणिपुटसे ग्रास ले जाय तो यह काकादि पिण्ड हरण नामका अन्तराय है। १३. पिण्ड पतन-यदि आहार करते समय साधुके पाणिपुटसे ग्रास मात्र नोचे गिर जाय तो पिण्डपतन नामका अन्तराय होता है। १४. पाणिजन्तु वध-यदि आहार करते समय कोई मक्खी आदि जन्तु पाणिपुटमे आकर मर जाय तो पाणिजन्तु वध नामका अन्तराय १५. मांस दर्शन-यदि आहार करते समय मरे हुए पञ्चेन्द्रिय जीव. के शरीरका मास दिख जाय तो मास दर्शन नामका अन्तराय है । १६. उपसर्ग-आहारके समय देवकृत आदि उपसर्गके आ जानेपर उपसर्ग नामका अन्तराय होता है। १७ पादान्तर जीव-यदि आहार करते समय कोई चुहिया आदि पञ्चेन्द्रिय जोव साधुके पैरोके बोचसे निकल जाय तो पादान्तर जीव मामका अन्तराय होता है।
SR No.010138
Book TitleSamyak Charitra Chintamani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPannalal Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1988
Total Pages238
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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