SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 57
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ मोर विशालता लाने की पावश्यकता प्रतीत होने लगी। धार्मिक, अन्धविश्वास अशिक्षा अथवा कुशिक्षा जन्य नाना प्रकार के वहम, जातिपांति, शुप्रास्त, कि पालकता, स्त्री जाति के प्रति अन्याय, बाल विवाह, वृद्ध विवाह, बहु विवाह, अनमेल विवाह, विषवा विवाह, दहेज मादि विनाशकारी कुरीतियाँ एवं कुप्रथाए देश और समाज के भक्तों को बुरी तरह व्याकुल करने लगी। फलस्वरूप राजा राममोहनराय तथा महर्षि देवेन्द्रनाथ ठाकुर आदि सुधारकों ने बंग प्रदेश में उत्कट सुधारवादी ब्राह्म समाज की स्थापना की, किन्तु यह संस्था बगाली समाज में ही सीमित रही। बाह्म समाज से कहीं अधिक व्यापक स्वामी दयानन्द सरस्वती का आर्य समाज आन्दोलन रहा। आर्य समाज ने जहाँ भोले हिन्दू समाज के ईसाई मिशनरियों और मुसलमान गुडो के प्रयत्नो के कारण दिन प्रति दिन क्षीणतर होते जाने मे सफल रोक लगाई, जहा उसने सनातन हिन्दू धर्म में आ घुसे अनेक वहमों, अन्धविश्वासो, पोपडम आदि के प्रति उसे सजग किया, और उसकी अनेक कुरीतियां छुड़ाईं, वहाँ मिथ्या धार्मिक दम्भावेश मे और जान बूझ कर अनभिज्ञ रहते हुए वैदिक एव हिन्दू धर्म के चिर कालीन सगी सम्बधी जैनादि धर्मों का कुत्सित परिहास और खडन भी किया तथा उनके विषय मे मिथ्या एव भ्रान्ति पूर्ण धारणाएं फैलाई। तथापि आर्य समाज और उसके नेतानो की इस प्रवृति का परिणाम जैन समाज के हक मे अच्छा ही हुआ । वह भी सचेत हो गया और उसके सुधारवादी नेताओ को अपने पक्ष में एक और प्रबल युक्ति मिल गई । अब जैन धर्म और समाज की रक्षार्थ प्रार्य समाज के प्राक्षपो का सयुक्तिक परिहार करना आवश्यक था, उन्हें समुचित प्रत्युत्तर देने थे, और अपने साहित्य को प्रकाश मे लाकर उनके तथा उनके द्वारा फैलाये गये भ्रमों एव मिथ्या कथनो का निराकरण करना था। प्रतएव आर्य समाज द्वारा किये गये आक्षेपों को लेकर जैनों द्वारा भी उस युग की शैली मे अनेक खंडन मंडनात्मक पुस्तकें लिखी गई और प्रकाशित की गई। प्रारम में फर्रुखनगर निवासी ज्योतिषी वैद्य पं.
SR No.010137
Book TitlePrakashit Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPannalal Jain, Jyoti Prasad Jain
PublisherJain Mitra Mandal
Publication Year1958
Total Pages347
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy