SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 29
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ शन सन् १९४४ ई० मे भडारकर मोरियंटल रिसर्च इस्टीट्य ट, पूना द्वारा 'गवर्नमेट अोरियटल सीरीज, क्लास 'सी' न० ४ के रूप में हुआ है । इस प्रथ मे जो कि लीपजिग (जर्मनी) से प्रकाशित टी० अाफेक्ट के सुप्रसिद्ध ग्रंथ 'कैटेलोगस कैटेलोगोरम' की शैली पर निर्मित हुआ है, विद्वान सम्पादक ने १२१ विभिन्न रिपोर्टों, अथ सूचियो, सूचीपत्रो आदि के आधार पर लगभग दस हजार जैन ग्रथो का तथा उनकी विभिन्न ज्ञात प्रतियो का सक्षिप्त परिचय अकारादि क्रम से दिया है। इस कोष मे दिगम्बर, श्वेताम्बर व उभय सम्प्रदायो के ग्रथो को समान रूप से समाविष्ट किया गया है । किन्तु जैसा कि विद्वान सम्पादक ने ग्रथ के प्राक्कथन मे स्वय स्वीकार किया है, वे दिगम्बर साधन सामग्री का अत्यल्प उपयोग ही कर पाये । इसी कारण से उक्त कोष मे समाविष्ट दिगम्बर नाथ सख्या मे भी कम है, उनकी विवेचित प्रतिये भी न्यूनतर है और उनका परिचय अपेक्षाकृत अधिक न्यूनतर होने के साथ ही साथ कही कही त्रुटित एव दोषपूर्ण भी है। प्रशस्ति प्रादि-उपरोक्त ग्रन्थ सूचियो के अतिरिक्त, जैन ग्रन्थो के आदि अथवा अन्त मे पाई जानेवाली उनके रचियताओ, टीकाकारो, अतिलेखको, दातारो आदि की प्रशस्तियो के भी कई संग्रह प्रकाशित हो चुके है, यथा मुनि श्री जिनविजय द्वारा सम्पादित 'जैन पुस्तक प्रशस्ति सग्रह, जैन सिद्धान्त भवन आरा से प्रकाशित 'प्रशस्ति सग्रह, तथा वीर सेवा मन्दिर, दिल्ली द्वारा निर्मित दो जैन ग्रन्थ प्रशस्ति सग्रह जिनमे से एक मे सस्कृत प्राकृत ग्रन्थो की प्रशस्तिये सकलित हैं और दूसरे मे अपभ्र श ग्रन्थो की । श्री महावीर जी तीर्थ क्षेत्र कमेटी (जयपुर) भी आमेर भडार के ग्रन्थो मे प्राप्त प्रशस्तियो का एक सग्रह प्रकाशित करा रही है । किन्तु अभी तक हिन्दी जैन ग्रन्थो की प्रशस्तियो का सकलन करने की ओर किसी का ध्यान नहीं गया है । मेरे स्वय के अवलोकन मे अबतक लगभग ५०-६० ऐसी प्रशस्तिये आ चुकी है जिनके प्रकाशन से न केवल हिन्दी जैन साहित्य के इतिहास पर ही वरन मध्य कालीन भारत के राजनैतिक एव सास्कृतिक इतिहास पर भी अच्छा प्रकाश पड़ने की
SR No.010137
Book TitlePrakashit Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPannalal Jain, Jyoti Prasad Jain
PublisherJain Mitra Mandal
Publication Year1958
Total Pages347
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy