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________________ ( २२९) लचंद पं० हीरालाल; प्र. श्रीमंत सेठ लक्ष्मीचंद शितावराय जैन साहित्यो.' तारक फड कार्यालय प्रमगंवती, भाषा प्रा० सं० हिन्दी, ५० ४३८, वर्षः १९३६ प्रा० प्रथम । षटखंडागमः (खड १, भाग २)ले. पुष्पदंत भूतल प्राचार्य, टी. पीरसेन स्वामी, हिन्दी अनु० सपा० प्रो० हीगलाल प० फूलचन्द पं. हीरालाजा प० श्रीमत सेठ लम्मीचः शिताबराय जैन साहित्योद्धारक फंड अमरावती, मा० प्रा० स० हिन्दी, पृ० ४४५, १० १६४०, प्रा० प्रथम । पटखंडागमः (खड २; भाग )-ले. पुष्पदत भूतबलि प्राचार्य, टी. वीरसेन स्वामी (श्रीधवल), हि. अनु० सपा प्रो. हीरालाल पं० फूलचंर पं. होरालाल प्र० श्रीमत सेठ लक्ष्मीचा शिजावराय जन माहित्योद्धारक फंड कार्यालय अमरावती, भा० प्रा० स० हिन्दी, पृ० ४८; व० १९४१, प्रा० प्रथम । षटम्टागमः (खड १, भाग ४)-ले० पुष्पदत भूगबलि प्राचार्य, टी०' वीरमेन सामी (श्रीघाव ), हि० अनु० संपा० प्रो० हीगलार व प.हीरालाल शास्त्री, प्र. श्रीमत सेठ लक्ष्मीचद सिताबय जैन सात्यिोद्धारक कार्यालय अमरावती, भा० प्रा० स० हिन्दी, पृ० ४८८, व १६४२, पा० प्रथम । पटखंटागम. (ख: १, भाग ५)-ले० पुष्परत भूत पलि पाचाय, टी० बीरसेन स्वामी (श्रीघवल), हि० मनु- सपा० प्रो. हीरालाल पं० फूलचन्द पं० हीरालाल, प्र० श्रीमत मठ लक्ष्मीचन्द शिताबराय जैन साहित्योद्धारक फंड कार्यालय अमरावती; भा० प्रा० सन्दिी , पृ०६५०, १० १६४२, प्रा० प्रथम। षटखंडागसः (खंड १, भाग ६)-ले० पुष्परत. भूतबनि प्राचार्य, टी. बीरसेन स्व मी (श्रीधवल), हि० अनु० संपा० प्रो० हीगल ल ५० बालचन्द्र, मा श्रीमत सेठ लक्ष्मीचन्द शिताबराय जैन साहित्योद्धारक फंड कार्यालय अमर वती, भा० प्रा० स० हिन्दी, पृ०५९६, २० १९४३, प्रा० प्रथम । षट खडागमः(खड २)-ले० पुष्पदंत भूतबनि प्राचार्य टी. वीरसेन
SR No.010137
Book TitlePrakashit Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPannalal Jain, Jyoti Prasad Jain
PublisherJain Mitra Mandal
Publication Year1958
Total Pages347
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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