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________________ ( २०७) योग प्रदीप-ले० हर्ष कीत्ति मुनि, भा० सं०, पृ. ३४, २० १८६७ । योग सार-लेखक अमितगति प्राचार्य, अनु० १० गजाधर लाल, प्र० भारतीय जैन सिद्धान्त प्रकाशनी सस्था कलकत्ता, भाषा स० हि०, पृ. २००, २०१६१८, प्रा० प्रथम । योग सार-लेखक योगीन्द्र देव, टी. प्रो. जगदीश चन्द्र, संपा० डा. ए. एन० उपाध्ये, प्र० रामचन्द्र जैन शास्त्र माला बम्बई, भाषा अप० हिन्दी; पृ. ३०, ३० १९३७: प्रा० प्रथम । योग सार-लेखक योगीन्द्र देव, टी० ब्र० शीतल प्रसाद, प्र० मूलचन्द किशनदास कापडिया सूरत, भा० अप० हि०, पृ० ३६४, व० १९४१, प्रा० प्रथम । योग सार-लेखक योगीन्द्र देव, टी० ५० नम्दराम गोयल, प्र. दिग० जैन भ्रातृ सघ प्रागरा, भा० हि०, पृ० १४८, व० १६३८, प्रा० प्रथम । योगि भक्ति-लेखक पूज्यपाद, टी• लालाराम, भा० संस्कृत हि०, ( दशभक्त्यादि सग्रह मे प्र०)। रक्षाबंधन कथा (पद्य)-लेखक मुशी नाथूराम लेमचू, प्र० स्वय मुडावरा, भा० हि०, पृ० १६, व० १६०२, पा० प्रथम । रक्षाबन्धन कथा (पद्य)-लेखक मुंशी नाथूराम लेमचू, प्र० जिनवाणी प्रचारक कार्यालय कलकत्ता, भा० हि०, पृ० १६ । रक्षाबन्धन कथा (पद्य)-लेखक मुशी नाथूराम लेमचू, अनु दामोदर दास, प्र० मूलचन्द किसनदास कापडया सूरत, भा० हि०, पृ० ४६, व० १६४२, आ० चतुर्थ । रक्षाबन्धन कथा-लेखक ब्र० प्रेमसागर पंच रत्न, प्र. जैन सुधारक सभा देहली, भा० हि०, पृ० १६, १० १९४० । रत्नकांड श्रावकाचार-लेखक समन्तभद्राचार्य, स० टी. प्रभाचन्द्राचार्य, प्र० माणिकचन्द्र ग्रंथ माला बम्बई, भा० स०, पृ. ३६८, व० १९२५, आ० प्रथम ।
SR No.010137
Book TitlePrakashit Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPannalal Jain, Jyoti Prasad Jain
PublisherJain Mitra Mandal
Publication Year1958
Total Pages347
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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