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________________ ( १५६ ) दस्सा पूजाविकार विचार - ले० स्फुलिङ्गः प्र० जमनाबाई जबलपुर पा० हि०, पृ० ३६, व० १६३६, श्रा० द्वितीय । दस्माओं का पूजाधिकार - ० पण्डित परमेष्ठिदास, प्र० जौहरीमन चैन सर्राफ देवली, भा० हिन्दी; पृ० ३४; व० १९३५; प्रा० प्रथम । दग्नूर अमल अग्रवाल सभा महारनपुर -- भाषा हिन्दी | दस्तूर अमल जैन बिरादरी मेरठहिन्दी, व १९२७ । --प्र० जैन बिरादरी मेरठ शहर, भाषा द्वादश, नु ेक्षा -- ले० सोमदेव सूरि; टी० पं० लालाराम, प्र० भारतीय चैन सिद्धांत प्रकाशनी सस्था कलकत्ता, भा० स० हि०, पृ० ५७ प्रा. प्रथम । द्वादशानुपेक्षा - ले० शुभचन्द्राचार्य, टी० प० जयचन्द छावडा, प्र० चैन ग्रन्थ रत्नाकर कार्यालय बम्बई, भा० सं० हि० पृ० ८०, व० १६०५; प्रा० प्रथम । द्वादश सुवेक्षा - प्र० जयचन्द्र श्रावणे वर्षा, भाषा हिन्दी, पृष्ठ ४३, ६० १८६८, आ० प्रथम । द्वादशानुप्रेक्षा - प्र० जैन ग्रंथ भडार सागर, भा० हि०, पृ० ७६, २० १६२८, प्र० प्रथम | द्वादशानुप्रेक्षा व बारह भावना - ले० दयाचन्द गोयलीय; प्र० सद्घोष रत्नाकर कार्यालय सागर, भा० हिन्दी, पृष्ठ ७४, व० १९१४, आ० प्रथम | द्वात्रिंशतिका - २ अमित गति सूरि, भाषा संस्कृत, पृष्ठ १०६, (तत्त्वाशासनादि मग्रह मे प्र० ) द्विसंधानम् - ले० कवि धनंजय, सं० टी० बदरीनाथ, सम्पादक पंडित काशीनाथ शर्मा व पण्डित शिवदत, प्रकाशक निर्णय सागर प्रेस बम्बई, भा० सं०, पृ० २२६, १०१८९५, प्रा० प्रथम । दान कथा - ले० बख्तावर मल रतनलाल, प्र० जैन ग्रन्थ रत्नाकर कार्यालय बम्बई भा० हि० । 4 दान कथा :- प्र० जिनवाणी प्रचारक कार्यालय कलकत्ता, भा०वि०, पृ० ४२ ।
SR No.010137
Book TitlePrakashit Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPannalal Jain, Jyoti Prasad Jain
PublisherJain Mitra Mandal
Publication Year1958
Total Pages347
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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