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________________ ( १४४ ) जैन वनिता विलास - ले० प० गोरेलाल पंचरत्न, प्र० सिंघई खेमचन्द १६२४, आ० प्रथम । जवेरी, भा० हि०, पृ० ३६, व० नैनव्रत कथा कोष -- प्र० जिनवाणी प्रचारक कार्यालय कलकत्ता, भा० हि०, पृ० ३२, प्रा० प्रथम । जैनव्रत कथा रत्न - - सग्र० मु० नाथूराम लेमचू, प्र० स्वय कटनी, भा० हि० पृ० ४१, व० १८६८ श्रा० प्रथम | जैन व्रत कथा संग्रह - ले० प० दीपचन्द्र वर्णी, प्र० दिग० जैन पुस्तकालय सूरत, भा० हि० पृ० ११५, व० १६३८, प्रा० प्रथम | जैनव्रत कथा संग्रह - ४०, व० १६२२, प्रा० प्रथम । --प्र० हीरालाल पन्नालाल देहली, भा० हि०, पृ० जैनव्रत कथा संग्रह - - प्र० व० १९०७, प्रा० प्रथम । वीरसिह जैनी इटावा, भा० हिन्दी, पृ० ३२ जैन व्रत कथा संग्रह - लेखक मा० दीपचन्द परवार, प्र० मूलचन्द किशनदाम कापडिया सूरत, भा० हि०, पृ० १८८, ० १६१६, ० प्रथम | जैन व्रत कथा संग्रह - ले० मु० नाथूराम लेमचू, प्र० खेमराज श्रीकृष्ण दास बम्बई, भा० हि०, पृ० ४५; व० १६०० । जैन विवाह पद्धति - प्र० बा० सूरजभान वकील, भा० स०, पृ० १०, जैन विवाह पद्धति - सग्र० प० गौरीलाल जैन, प्र० मित्थ्यात्व तिमिर नाशनी दिग० जैन सभा देहली, भाषा सस्कृत हि०, पृ० ६४, व० १६१६, श्र० द्वितीय, जैन विवाह पद्धति --- सग्र० पं० फत्तेलाल, प्र० लल्लूभाई लक्ष्मी चन्द बम्बई, भा० सं० हि०, पृ० ४०, व० १६०१, जैन विवाह विधि - सपा० प० चैनसुखदास न्या० ती० प्र० सद्बोधप्रकाश कार्यालय जयपुर, भा० स० हि० पृ० ६०, व० १६३२, आ० द्वितीय,
SR No.010137
Book TitlePrakashit Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPannalal Jain, Jyoti Prasad Jain
PublisherJain Mitra Mandal
Publication Year1958
Total Pages347
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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