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________________ अर्थ प्रकाशिका-ले० प्राचार्य उमास्वामी, टी० पं सदासुखदास जी; प्र० मूलचन्द किशनदास कापडया सूरत; भा० हि०; पृ० ४६८; व०१९४०। अर्घावली-प्र० सुमतिलाल, भा० हि०, पृ० १७ । अर्जुनलाल सेठी का जीवन चरित्र-प्र० चन्द्रसेन जैन बैद्य, भा० हि०; पृ० १५। अर्जुनमाली- ले० डी० टी० शाह, भा० हि०। अर्थसंदृष्टि अधिकार-ले० पं० टोडरमल जी, प्र. भारतीय जैन सिद्धान्त प्रकाशिनी सस्था कलकत्ता, भा० हि०, पृ० ३०८, प्रा० प्रथम । अद्ध कथा-ले० प० बनारसीदाम जी, संपा० डा० माताप्रसाद गुप्त, प्र० हिन्दी परिषद प्रयाग, भा० हि:- पृ० ७३, व० १६४१, प्रा० प्रथम । अद्ध कथा-ले० प० बनारसीदास जी, सपा० डा० माताप्रसाद गुप्त; प्र० प्रयाग विश्वविद्यालय हिन्दी परिषद प्रयाग, भा० हि०, पृ० ५६, व० १६४३ । अद्ध कथानक-ले० ५० बनारसीदास जी, सं० १० नाथूराम जी प्रेमी, प्र० हिन्दी अन्य रत्नाकर कार्यालय बम्बई, भा० हि०, पृ० १०२; व० १६४३, प्रा० प्रथम । _अहत्प्रवचनम्-ले० प्रभाचन्द्राचार्य, भा० स०, (सिद्धान्त सारादि सग्रह मे ) प्र०। अहंत पासा केवली-(अर्हन्त पासा केवलि)-ले० कविवर वृन्दावन जी; सपा०प० नाथूराम प्रेमी, प्र. जैन ग्रन्थ रत्नाकर कार्यालय बम्बई, भा० हि० पृ० २४, व० १६१०, प्रा० द्वितीय । अलकार चिन्तामणि -ले. अजितसेनाचार्य, प्र० सखाराम नेमचन्द दोशी शोलापुर, भा० स०, पृ० १६२, व० १८२६ शक । अवध परिवय-(अवध प्रान्त की जैन डाइरेक्टरी)-सपा०प० रामलाल पचरत्न, प्र० जिनेन्द्र चन्द्र मन्त्री अवध प्रान्तीय दि० जैन परिषद लखनऊ, भा० हि०, व० १६४५, मा० प्रथम ।
SR No.010137
Book TitlePrakashit Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPannalal Jain, Jyoti Prasad Jain
PublisherJain Mitra Mandal
Publication Year1958
Total Pages347
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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