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________________ :::: ५५१ ५५२. ५५३ ५५४ ५५७ ५५८. પૂર ५६० ५६१ (३५ ) १३--सोलहवाँ चतुर्मास १४-वीर की विख्याति १५-सत्रहवाँ चतुर्मास १६-अठारहवाँ चतुर्मास बाईसवाँ सर्ग १. श्रोणिक पर प्रभाव २--युवराजों की दीक्षा ३--उन्नीसवाँ चतुर्मास ४-बीसवाँ चतुर्मास ५- इक्कीसवाँ चतुर्मास ६--बाईसवाँ चतुर्मास ७-स्कन्दक की दीक्षा ८-तेईसवाँ चतुर्मास ६-चौबीसवाँ चतुर्मास १०-पच्चीसवाँ चतुर्मास ११-चम्पा के राजवंश पर प्रभाव १२- छब्बीसवाँ चतुर्मास १३- सत्ताईसवाँ चतुर्माम १४-शिव राजर्षि पर प्रभाव १५-अहाईसवाँ चतुर्मास १६---उन्नतीसवाँ चतुर्मास १७-शाल और महाशाल की दीक्षा १८-तीसवाँ चतुर्मास १६-इकतीसवाँ चतुर्मास २०-बत्तीसवाँ चतुर्मास ५६५. ५६६ ::::::::::::::::::::: ५६७ ५६७ ५६८ کو ५६६ ५७० کر ५७२ ५७३ ५७५
SR No.010136
Book TitleParam Jyoti Mahavir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhanyakumar Jain
PublisherFulchand Zaverchand Godha Jain Granthmala Indore
Publication Year1961
Total Pages369
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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