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________________ पं. बनवारीलाल जी स्यावादी मरथरा (एटा) सन् 1904 ___ पद्मावती-पुरवाल समाज के नव-जागरण में आपका विशेष योगदान रहा। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा मुरैना विद्यालय में हुई तथा दिल्ली विश्वविद्यालय से उन्होंने बी.ए. (इंग्लिश ऑनस) की परीक्षा उत्तीर्ण कर अंग्रेजी में भी महारत हासिल की। श्री स्याद्वादी जी जैनधर्म एवं जैन दर्शन विषय पर अपने हिन्दी-अंग्रेजी भाषणों के लिये प्रसिद्ध थे। उन्होंने जैन-गजट कार्यालय में मैनेजरी का कार्य भी किया तथा कुछ समय तक अंग्रेजी के जैव-गजट का भी सम्पादन-प्रकाशन किया। इसके अतिरिक्त उन्होंने वीर तथा भगीरथ नाम की पत्रिकाओं का भी सम्पादन किया। वे नवभारत टाइम्स के Commercial Editor भी लगभग 15 वर्षों तक रहे। इसके पूर्व उन्होंने जैन संस्कृत कामर्शियल हायर सैकेण्डरी स्कूल दिल्ली में अध्यापन कार्य करते समय जैनधर्म का स्वाध्याय, मनन एवं चिंतन किया। इनके साथ-साथ पद्मावती-पुरवाल-समाज की अनेक संस्थाओं के विकास में वे सक्रिय योगदान देते रहे। उनके द्वारा लिखित निम्न ग्रन्थ प्रसिद्ध हैं__ 1. मोक्षशास्त्र की टीका, 2. ब्रह्मगुलाल चरित, एवं, 3. गुड़िया का घर (नाटक)। भगवत्स्वरूप जैन भगवत् धर्मभूषण-उपाधि से सम्मानित श्री भगवत्स्वरूप जैन भगवत (फरिहा, 1910 ई.) ने वि.सं. 1986 में फीरोजाबाद के मेले में, जब चरित्र-चक्रवर्ती आचार्य श्री शान्तिसागर जी महाराज थे, तब उनके सानिध्य में बैठकर आपको जैनधर्म के अध्ययन एवं कहानी, कविता, संस्मरण आदि के लेखन 357 पद्मावतीपुरवाल दिगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकास
SR No.010135
Book TitlePadmavati Purval Digambar Jain Jati ka Udbhav aur Vikas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjit Jain
PublisherPragatishil Padmavati Purval Digambar Jain Sangathan Panjikrut
Publication Year2005
Total Pages449
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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