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________________ संतकुमारजी ने रुपये उधार देने का काम भी जोड़ लिया, इसीलिये बैंकर्स कहलाये। लगभग 70 वर्षीय श्री संतकुमारजी के दो पुत्र हैं। श्री संतकुमार जी सामाजिक और धार्मिक व्यक्ति हैं। वे स्थानीय और अखिल भारतीय स्तर की कई संस्थाओं से जुड़े हुए हैं। आप उदारतापूर्वक अपना सहयोग देते हैं। स्व. श्री जिनेन्द्रप्रकाश जैन संस्थापक-'करुणादीप' हिन्दी पाक्षिक पत्र पं. पु. जैन समाज का एटा प्रमुख नगर माना जाता है। आदरणीय श्री जिनेन्द्र प्रकाश जी का जन्म एटा नगर में सन् 1937 में हुआ था। आप श्री दयाशंकर जी जैन के ज्येष्ठ पुत्र थे। श्री जिनेन्द्र प्रकाश जी प्रमुख समाज सेवी, पशुवध निरोधक समिति एवं करुणादीप पाक्षिक पत्र के संस्थापक, वरिष्ठ सम्पादक, प्रखर वक्ता, कर्मयोगी, प्रतिभा के धनी, लगनशील, सच्चे देव शास्त्र गुरु के उपासक धर्म के प्रचारक एवं समर्थक थे। आपके पास जो भी व्यक्ति किसी भी प्रकार की समस्या लेकर आता था आप उसका पूर्णरूपेण समाधान करते थे। आप समाज को अपना घर समझते थे एवं हमेशा उसके विकास एवं संगठन की-सोचते और उसी प्रकार कार्य करते थे। 1972 में आप अखिल भारतीय पदमावती पुरवाल पंचायत के महामंत्री चुने गये। उस समय आपने अपनी कार्य पद्धति से पंचायत संगठन को मजबूती प्रदान की। विरोधियों को भी अपने पक्ष में करना आपकी विशेषता थी। आप अपने समाज पर गर्व करते थे। आप अत्यन्त परिश्रमी एवं संयमी व्यक्ति थे। 'करुणादीप' पत्र के संपादन में आपकी गहरी रुचि थी। घंटों आप पत्र का संपादन करते रहते थे। आप में समाज सेवा की अजीब लगन थी। 311 पद्मावतीपुरवाल दिगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकास
SR No.010135
Book TitlePadmavati Purval Digambar Jain Jati ka Udbhav aur Vikas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjit Jain
PublisherPragatishil Padmavati Purval Digambar Jain Sangathan Panjikrut
Publication Year2005
Total Pages449
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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