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________________ आसपास दिल्ली आये। शिक्षा पूरी करते ही उत्तर रेलवे में उनकी नौकरी लग गई। सादा जीवन उच्च विचार उनके जीवन का आदर्श था। वे सरल स्वभावी और धर्मात्मा थे। 1977 में 54 वर्ष की अवस्था में उनका स्वर्गवास हो गया। वे पंचायत के अच्छे कार्यकर्ता थे। सर्वश्री रमेशचन्द, महेशचन्द, दिनेशकुमार, निर्मल कुमार और पवन कुमार उनके पुत्र हैं। सभी पुत्र शिक्षित हैं। सबके अपने निवास हैं। परिवार में खुशहाली है। श्री लक्ष्मीचंद जी के दूसरे पुत्र श्री महेशचन्द का 44 वर्ष की उम्र में 1995 में हृदय गति रुक जाने से स्वर्गवास हो गया। सर्वश्री अमित और अंकित इनके दो पुत्र हैं। श्री इन्द्रनारायण जैन, ग्रीन पार्क एटा जिले के मरथरा जनपद के स्व. श्री सुनहरीलाल जी के पुत्र श्री इन्द्रनारायण जी पं. बनवारीलाल स्याद्वादी की प्रेरणा पर दिल्ली आये। बाद में उनकी विधवा मां भी आ गई और स्कूल में अध्यापिका लग गईं। शिक्षा पूरी करते ही श्री इन्द्रनारायण जी की सेन्ट्रल बैंक में सर्विस लग गई। थोड़े समय बाद उनका विवाह हो गया। बनारसी भवन, मस्जिद खजूर में उनका निवास था और वहां सभी ओर मंदिरजी होने के कारण धार्मिक संस्कार उनमें भरपूर थे। पंचायत के उत्साही कार्यकर्ता थे। लगभग 15 वर्ष पूर्व वे बैंक सेवा से निवृत हुए। इससे काफी वर्ष पूर्व उन्होंने अपना निवास ग्रीन पार्क की अपनी कोठी में कर लिया था। ग्रीन पार्क पहुंचने के बाद वहां की समाज ने उनके धार्मिक विचार और आचरण को देखते हुए उचित सम्मान दिया। आज भी वे वहां के प्रमुख व्यक्ति हैं। श्री इन्द्रनारायणजी देव शास्त्र और गुरु के प्रति अपार श्रद्धा रखते हैं। पद्मावतीपुरयाल दिगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकास 256
SR No.010135
Book TitlePadmavati Purval Digambar Jain Jati ka Udbhav aur Vikas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjit Jain
PublisherPragatishil Padmavati Purval Digambar Jain Sangathan Panjikrut
Publication Year2005
Total Pages449
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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