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________________ संकल्प रहे। सहयोग और सद्भाव के अपने विशेष गुणों के कारण वह लोकप्रिय थे। धर्म के प्रति निष्ठा और समर्पण उनका लक्ष्य था। दिल्ली की पंचायत की श्री छोटेलाल जी पर निगाह पड़ी पर अपना लिया। लगभग 15-20 वर्ष तक वह पंचायत की कार्यकारिणी से जुड़े रहे। 1985 में उनका स्वर्गवास हो गया। सर्वश्री अशोक कुमार, आनन्दकुमार और प्रमोदकुमार जैन आदि उनके योग्य पुत्र है। परिवार का संगठन, पारस्परिक प्रेम और सहयोग अनुकरणीय है। प्रभु कृपा से खुशहाल है और उदारता पूर्वक दान भी देते है। स्व. श्री सनतकुमार जैन, मोरी गेट एटा जिले के सकरौली जनपद के श्री सनत कुमार 1925-26 के आस-पास दिल्ली आये। यहां आकर व्यवसाय किया। दोनों पुत्रों को शिक्षा दिलायी। बाद में वे सेन्ट्रल बैंक में सर्विस करने लगे। इनके बड़े पुत्र श्री नेमकुमार का 1976 में स्वर्गवास हो गया। श्री सुरेन्द्र कुमार उनके इकलौते पुत्र हैं। श्री नेमकुमार जी सरल स्वभावी और कर्तव्यनिष्ठ व्यक्ति थे। पंचायत में काफी समय तक वे लेखा निरीक्षक रहे। श्री सनतकुमार जी का 1978 में स्वर्गवास हो गया। श्री सनतकुमार जी के दूसरे पुत्र श्री नरेन्द्र कुमारजी 1993 में बैंक से सेवानिवृत्त हुए। श्री नरेन्द्र कुमार जी पंचायत के काफी समय तक लेखा निरीक्षक रहे हैं। आचार्य श्री सन्मतिसागर महाराज जी का जब गांधीनगर दिल्ली-31 में वर्षायोग हुआ उस समय श्री नरेन्द्र कुमार जी वहां की समाज के अध्यक्ष थे। आचार्य श्री की प्रेरणा और आशीर्वाद से दिल्ली की पद्मावती पुरवाल दिगम्बर जैन पंचायत और पद्मावती पुरवाल दिगम्बर जैन समाज शाहदरा पद्मावतीपुरवाल दिगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकास 258
SR No.010135
Book TitlePadmavati Purval Digambar Jain Jati ka Udbhav aur Vikas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjit Jain
PublisherPragatishil Padmavati Purval Digambar Jain Sangathan Panjikrut
Publication Year2005
Total Pages449
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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