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________________ स्व. श्री मुन्नीलाल हलवाई एटा जिले में उड़ेसर जनपद के लाला बैनीराम जी के होनहार पुत्र श्री मुन्नीलाल जी 1916 में दिल्ली आये। दिल्ली में पहले से ही रह रहे अपने चचेरे भाई श्री नेमिचन्द जी के यहां जो धर्मपुरा की भूतवाली गली में रहते थे, रहे। श्री नेमीचन्द जी वहीं से नमकीन दालसेव का थोक व्यापार करते थे । युवा श्री मुन्नी लाल जी ने वह सब कुछ सीखा। साथ ही दिल्ली वासियों के खाने-पीने की वस्तुओं को भी बनाना और बनवाना सीख लिया। प्रतिभावान श्री मुन्नी लाल जी की ख्याति समाज में फैली और उत्तर प्रदेश के जारखी जनपद के एक प्रतिष्ठित परिवार की कन्या के साथ 1933 में उनका विवाह हो गया। इस नये उत्तरदायित्व के निर्वाह के लिए आतुर श्री मुन्नीलाल जी ने एक दुकान दरियागंज की मुख्य रोड पर ली । उस पर मिष्ठान भंडार आदि चालू कर दिया। कुछ स्थानों पर उन्होंने कैंटीन भी चलाई । प्रभु कृपा और बढ़ते आत्म विश्वास से उन्होंने 1936 में एक मकान कूचा परमानंद में (दुकान के पास) किराये पर लिया । जीवन की अंतिम सांस लेते समय अर्थात 12 जनवरी 1978 तक वह वहीं रहे। श्री मुन्नीलाल जी, अधिक पढ़े लिखे नहीं थे पर आदमी को परखने और अपनी बात समझाने की उनमें अद्भुत क्षमता थी। वे मेहनती, स्पष्टवादी, धर्मात्मा और मिलनसार व्यक्ति थे । अपने बच्चों को उन्होंने शिक्षित किया। काफी समय तक वे पद्मावती पुरवाल दिगम्बर जैन पंचायत के उपाध्यक्ष रहे । आपके बड़े पुत्र का नाम श्री सुशील कुमार है। वह लगभग 8 वर्ष पूर्व दिल्ली प्रशासन की डिफेंस रिसर्च लेबोरेट्री से राजपत्रित अधिकारी के पद से सेवा निवृत्त हुए हैं। आपके पुत्रों में से एक पुत्र श्री बादल जैन पंचायत की वर्तमान कार्यकारिणी के सदस्य हैं। पद्मावतीपुरवाल दिगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकास 244
SR No.010135
Book TitlePadmavati Purval Digambar Jain Jati ka Udbhav aur Vikas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjit Jain
PublisherPragatishil Padmavati Purval Digambar Jain Sangathan Panjikrut
Publication Year2005
Total Pages449
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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