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________________ स्व. श्री मटरूमल जैन (श्रीमानजी) श्री मटरूमल जी पुत्र श्री लालाराम जी का श्री नेमीचंद और डालचंद जी की बहन के साथ विवाह हुआ। इस परिवार की देखरेख में ही वे अपना व्यवसाय करते थे। बाद में उन्होंने पुराने दरियागंज में एक मकान खरीदा उनका पूरा परिवार उसी मकान में उनके साथ रहा। यह मकान खरीदने से पूर्व यहीं पर उन्होंने जनरल मर्चेन्ट्स की एक दुकान कर ली थी। इस क्षेत्र में उन्होंने कुछ और दुकानें भी ली। श्री मटरूमल जी धार्मिक प्रवृति के व्यक्ति और शुद्रजल के त्यागी थे। पद्मावती-पुरवाल पंचायत से उनको लगाव था। 1975 में उनका स्वर्गवास हो गया। सर्वश्री किशोरीलाल, महावीरप्रसाद, चन्द्रप्रकाश और अजितकुमार इनके पुत्र हैं। श्री किशोरीलालजी का 2004 में स्वर्गवास हो गया। सर्वश्री राकेशकुमार, दिनेशकुमार, संजयकुमार इनके पुत्र हैं। श्री मटरूमल जी के द्वितीय पुत्र श्री महावीर प्रसादजी का मार्च 2005 में स्वर्गवास हो गया। सर्वश्री राजीव, संजीव, अशोक और राजेश इनके पुत्र हैं। श्री चन्द्रप्रकाश का 1998 में स्वर्गवास हो गया। इनका कोई पुत्र नहीं है। श्री अजितकुमार जी के तीन पुत्र हैं। स्व. श्री महावीरप्रसाद जैन कचहरी वाले आगरा जिले के फरिया जनपद के श्री मुंशीलाल जी 1910 के आसपास दिल्ली आये। तत्कालीन कचहरी में उन्होंने हलवाई की दुकान की। 1918 में उनका विवाह हुआ और 1920 में एक पुत्र ने जन्म लिया जिसका नाम महावीरप्रसाद रखा गया। श्री महावीर प्रसादजी उसी व्यवसाय में जुट गये और काम को आगे बढ़ाया। श्री मुंशीलाल जी पद्मावतीपुरवाल दिगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकास 286
SR No.010135
Book TitlePadmavati Purval Digambar Jain Jati ka Udbhav aur Vikas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjit Jain
PublisherPragatishil Padmavati Purval Digambar Jain Sangathan Panjikrut
Publication Year2005
Total Pages449
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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