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________________ और नेमीचन्द शिक्षारत थे। वैद्य जी बड़े सरलस्वभावी और धर्मात्मा थे। बच्चों की उच्च शिक्षा की ओर उनका विशेष ध्यान था। आयुर्वेदिक आदि पद्धतियों से उपचार करने में वे सिद्धहस्त थे। दिल्ली आने पर दिल्ली की पंचायत की सभी गतिविधियों से वे जुड़े रहे। काफी समय पूर्व उनका स्वर्गवास हो चुका है। इनके एक पुत्र श्री पारसदास जैन गुलमोहर पार्क, दिल्ली में रहते हैं। स्व. श्री महावीरप्रसाद सर्राफ/मोतीलाल सर्राफ एटा जिले के बेरनी जनपद के श्री नैनसुखदास जी अपने परिवार के साथ 1920-21 में दिल्ली आये। चांदनी चौक में उन्होंने पराठों और खानेपीने की सामान की दुकान की। किसी अपरिचित मित्र की सलाह और विश्वास पर उन्होंने 1925-26 में तिराहा बैरामखां दरियागंज में सर्राफे का काम किया। इनके दोनों पुत्र सर्वश्री महावीरप्रसादजी और श्री मोतीलालजी इस एक दुकान पर बैठते थे। बाद में दोनों पुत्रों का विवाह हो गया। श्री महावीर प्रसादजी को उन्होंने अलग दुकान करा दी। पुरानी दुकान पर श्री मोतीलालजी बैठे। श्री महावीर प्रसाद जी, धार्मिक और उदार प्रवृत्ति के व्यक्ति थे। नित-प्रति अभिषेक और पूजन का उनका नियम था। वे पद्मावती-पुरवाल जाति के महत्वपूर्ण व्यक्ति थे। अपने समय की सभी स्थानीय और अखिल भारतीय स्तर की संस्थाओं में वे उच्च पदाधिकारी थे। दिल्ली पंचायत के वे अध्यक्ष, कोषाध्यक्ष, मंदिर प्रबंधक आदि पदों पर कई बार रहे। 1989 में उनका स्वर्गवास हो गया। सर्वश्री सुखबीर प्रसाद, स्वराज जैन और निर्मल कुमार जैन पुत्र हैं। उनके द्वितीय पुत्र श्री स्वराज जैन पंचायत की पिछली कार्यकारिणी में कोषाध्यक्ष रहे हैं। श्री मोतीलाल जी, सरल स्वभावी और खरे आदमी थे। अपने पिताश्री पद्मावतीपुरवाल दिगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकास 232
SR No.010135
Book TitlePadmavati Purval Digambar Jain Jati ka Udbhav aur Vikas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjit Jain
PublisherPragatishil Padmavati Purval Digambar Jain Sangathan Panjikrut
Publication Year2005
Total Pages449
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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