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________________ पुरवाल पंचायत की ओर से ला. हीरालाल जी सर्राफ एटा तथा पं. चम्पालाल जी पेंठतं निवासी का बनवाया हुआ मंदिर था। बाद में उसके स्थान पर समस्त दिगम्बर समाज की ओर से यह मंदिर बनाया गया। देहली-दिल्ली दिल्ली या देहली भारत की राजधानी है। साहित्य में इसका सर्वप्रथम उल्लेख इन्द्रप्रस्थ के रूप में महाभारत काल में मिलता है। बाद में समय-समय पर इसके नामों मे परिवर्तन होता रहा। इसलिए साहित्य में इसके कई नाम मिलते हैं जैसे-ढिल्ली, ढिल्लिका, योगिनीपुर, जोइणीपुर, जहानाबाद, दिल्ली, देहली। अपभ्रंश में दिल्ली और जोइणीपुर ये दो नाम मिलते हैं। दिल्ली की स्थापना के संबंध में वि.सं. 1388 का शिलालेख है, जो दिल्ली म्यूजियम में विद्यमान है। उसमें लिखा है 'देशोङस्ति हरियानाख्यो पृथिव्यां स्वर्गसन्निभः। ढिल्लिकाख्या पुरी तत्र तोमरेरस्ति निर्मिता॥ इसमें बताया है कि हरियाना देश में दिल्लिका नगरी को तोमरों ने बसाया। ढिल्लिका (दिल्ली) हरियाणा की राजधानी थी। इतिहासकारों के मतानुसार इस नगरी की स्थापना अनंगपाल प्रथम ने की। इसका राज्याभिषेक सन् 736 में हुआ था। इसके बाद द्वितीय अनंगपाल दिल्ली में आया। उसका राज्याभिषेक सन् 1051 में हुआ। इसके सौ वर्ष बाद अनंगपाल (तृतीय) हुआ। इसकी पुष्टि कविवर बुध श्रीधर द्वारा रचित पार्श्वनाथ चरित (रचना काल सं. 1189) से होती है। वि.सं. 1207 के लगभग चाहमान वंशी (चौहन) राजा आना के पुत्र विग्रहराज (बीसलदेव चतुथ) ने अनंगपाल को उखाड़ फेंका और दिल्ली को छीनकर अजमेर का सूबा बना दिया। पावतीपुरबाल दिगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकास 197
SR No.010135
Book TitlePadmavati Purval Digambar Jain Jati ka Udbhav aur Vikas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjit Jain
PublisherPragatishil Padmavati Purval Digambar Jain Sangathan Panjikrut
Publication Year2005
Total Pages449
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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