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________________ आगरा के कलैक्टर मि. नेविल ने आगरा गजेटियर (सन् 1905) में लिखा है-आगरा से इटावा तक का प्रदेश यमुना, चम्बल और क्वारी नदी के त्रिकोण मे बसा हुआ क्षेत्र पूर्णतया अहिंसक हैं इस क्षेत्र में कोई शिकार नहीं खेलता, न मांस खाता है। इससे जैन व वैष्णव प्रभाव प्रगट होता है। मुगलकाल से पूर्व और उस काल में भी इस नगर में शासन और प्रजा पर जैनों का बड़ा प्रभाव रहा। पं. भगवती दास ने 'अर्गलपुर जिनवन्दना' में 48 जिन मंदिरों का वर्णन है। इसमें शाहजहां बादशाह के काल मे आगरा के जैन मंदिरों, मंदिर निर्माताओं, प्रमुख विद्वानों और विदुषी स्त्रियों का वर्णन है। उन्होंने जिन 48 मंदिरों के दर्शन किये थे उनमें एक पद्मावती पुरवाल मंदिर भी है। यह मंदिर कहां पर था इसकी जानकारी प्राप्त नहीं हो सकी है। परन्तु इस समय एक मंदिर पद्मावती पुरवाल समाज का धूलियागंज आगरा में है। इससे एक बात स्पष्ट है कि मुगल काल में भी इस समाज की संख्या आगरा में अच्छी थी। वर्तमान में भी समाज के लगभग 100 घर हैं तथा जनसंख्या लगभग एक हजार होगी। जिला आगरा के ग्रामस्थान परिवार जनसंख्या मंदिर विशिष्ट विवरण 1. पुरगवा 3 30 1 2. बरहन 20 3. सराय जयराम 10 4. एत्मादपुर 200 1600 धर्मशाला व स्कूल संख्या 200 100 इटावाउत्तर प्रदेश की एक नगरी इटावा है। यमुना नदी के किनारे पर बसा पद्यावतीपुरवाल दिगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकास 195
SR No.010135
Book TitlePadmavati Purval Digambar Jain Jati ka Udbhav aur Vikas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjit Jain
PublisherPragatishil Padmavati Purval Digambar Jain Sangathan Panjikrut
Publication Year2005
Total Pages449
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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