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________________ पद्यावती पुरवाल सकरौली (एटा) ने निर्माण कराया वी.सं. 2473 (नोट-जहां स्पष्ट पद्मावती पुरवाल लिखा है उनका ही उल्लेख है।) पर्वतराज पर समवशरण मंदिर के ढलान पर श्री 108 चैत्यसागर महाराज की प्रेरणा से आचार्य श्री 108 विमलसागर महाराज की छतरी का नवनिर्माण हुआ है। अब पर्वतराज की तलहटी में पद्मावती पुरवाल समाज का योगदानतलहटी में 26 जिनालय हैं। इनमें मंदिर नं. 5 सेठ हीरालाल जी एटा वालों का (पद्मावती पुरवाल) है। इसका प्रबंध दि. जैन पद्मावती पुरवाल पंचायत करती है। यह मंदिर श्री नेमिनाथ जिनालय नाम से प्रसिद्ध है। वर्तमान में कमेटी के अध्यक्ष श्री छोटेलाल जी एडवोकेट झांसी हैं तथा मंत्री श्री रामबाबू जैन, जारखी वाले हैं। विवरण मंदिर-तलहटी के जिनालय नं. 3 (खरौआ समाज) एवं जिनालय नं. 4 (गोल शृंगार) की श्रृंखला में मंदिर क्रमांक 5 नेमिनाथ जिनालय पद्मावती पुरवाल समाज का है। यह मंदिर नं. 5 जमीन से 25 सीढ़ियां ऊपर चढ़ने पर एक विशाल चबूतरे पर बना है। चबूतरे के बाद एक बालिश्त ऊंची सीढ़ी जो लगभग 3 x 3 की है। इस पर विद्यादेवी धर्मपत्नी लाला रामबाबू जैन जारखी वाले मंत्री श्री दि. जैन पद्मावती पुरवाल नं. 5 सं. 2044 वि. का पाटिया लगा है। इस पाटिये के आजू-बाजू नौबतखाने बने हैं। सन् 1988 से 1991 के काल में आचार्य श्री विमलसागर जी महाराज संघ सहित श्री सोनागिरि जी में विराजमान रहे। इस काल में उनकी प्रेरणा से लगभग 300 वर्ष पुराने इस मंदिर का जीर्णोद्धार हुआ। सब जगह संगमरमर का कार्य हुआ। नौबत खानों के बीच में मंदिर जी का प्रवेश द्वार है जिसमें बहुत सुन्दर एवं मजबूत (किवाड़) जोड़ी लगी है। दरवाजे में प्रवेश करते ही एक पद्यावतीपुरवाल दिगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकास 174
SR No.010135
Book TitlePadmavati Purval Digambar Jain Jati ka Udbhav aur Vikas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjit Jain
PublisherPragatishil Padmavati Purval Digambar Jain Sangathan Panjikrut
Publication Year2005
Total Pages449
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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