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________________ हल हो गई और उसमें तुरत-फुरत चार बड़े कमरों का निर्माण हो गया । 1954 में विद्यालय को विज्ञान वर्ग में तथा 1956 में इण्टर कामर्स की मान्यता प्राप्त होने के साथ हाईस्कूल तथा इण्टर दोनों के कला विज्ञान और वाणिज्य वर्गों में मान्यता प्राप्त कर एक पूर्णांग इण्टर मीडिएट कालेज बन गया । विकास के इस स्तर तक पहुंचने के उपरान्त कालेज अधिकारियों ने अपना ध्यान संस्था के बाह्य और आंतरिक रूप को सजाने-संवारने और निखारने की ओर केन्द्रित किया। जिन आवश्यक आवश्यकताओं की इस बीच उपेक्षा हो गई थी उनकी पूर्ति की गई। नए कमरों का निर्माण हुआ । हाई स्कूल और इण्टर कक्षाओं के लिये पृथक-पृथक विज्ञान की प्रयोगशालाएं बनी । ट्यूबवैल लगा, प्रधानाचार्य तथा कार्यालयों का निर्माण अतिथि भवन तथा नवीन पुस्तकालय भवन तथा मनोरम बगीचे का ले आउट आदि विगत वर्षों में शनैः-शनैः होते रहे हैं। काल अचानक ही ले जाएगा, गाफिल होकर रहना क्या रे ॥ काल. ॥ छिनहूं तोकूं नाहिं बचावैं, तो सुभटन का रखना क्या रे ॥ काल. ॥ रंच संवाद करन के काजै, नरकन में दुख भरना क्या रे ॥ काल. ॥ कुलजन पथिकन के काजै, नरकन में दुख भरना क्या रे ॥ काल. ॥ - दुधजन पद्मावतीपुरवाल दिगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकास 148
SR No.010135
Book TitlePadmavati Purval Digambar Jain Jati ka Udbhav aur Vikas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjit Jain
PublisherPragatishil Padmavati Purval Digambar Jain Sangathan Panjikrut
Publication Year2005
Total Pages449
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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