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________________ जैन ट्रस्ट के मैनेजिंग ट्रस्टी हैं। हैदराबाद में आयोजित पंचकल्याणक प्रतिष्ठा में आपने उल्लेखनीय सहयोग दिया। महासभा के आप सदस्य हैं। कर्मठ समाज सेवी हैं। आपके तीन पुत्रों में प्रवीन कुमार, अनिल कुमार एवं अनूप कुमार हैं। आपकी एकमात्र पुत्री अनिता जैन का आगरा में विवाह हो चुका है।" स्व. पं. फूलचंदजी न्यायतीर्थ आपका जन्म सकरौली (एटा) में एवं निधन फिरोजाबाद में हुआ। विद्यार्थी जीवन से ही प्रखर बुद्धि थे। पीछे से व्यवसाय में अधिक रुचि हो जाने से उस क्षेत्र में चले गये। पं. बनवारीलालजी जैन 'स्याद्वादी' पं. श्री बनवारी लाल जी का जन्म मर्थरा गांव में श्री सेवतीलाल जी जैन के परिवार में 1904 में हुआ था। आप बाल्यकाल से ही विलक्षण प्रतिभा लिए हुए थे। आपकी शिक्षा में अधिक चाह थी इसलिए आप प्रारम्भिक शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात मुरैना चले गए। यहां पर आपने संस्कृत धर्म साहित्य और न्याय में शास्त्री तक शिक्षा प्राप्त की। तदुपरांत आपने दिल्ली विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में बी.ए. पास किया। शिक्षा समाप्ति के उपरांत आपने दिल्ली में जैन गजट पत्र के मैनेजर का पदभार संभाला। समाजसेवा की डगर पर यह आपका पहला कदम था। पत्र के माध्यम से आपने एक वर्ष तक बड़ी योग्यतापूर्वक समाज सेवा की। आपने ‘भागीरथ' नामक पत्र का प्रकाशन भी किया। शिक्षा क्षेत्र में सेवा करने की जिज्ञासा के फलस्वरूप लगभग 20 वर्ष तक आपने जैन संस्कृत कमर्शियल हायर सेकेन्डरी स्कूल दिल्ली में विद्यार्थियों को पढ़ाया। इनसे खुश होकर स्कूल की प्रबन्ध समिति ने अनेक बार नकद और प्रशस्ति पत्र देकर पुरस्कृत किया। इतने समय के पश्चात आप पुनः साहित्य की ओर पद्मावतीपुरवाल दिगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकास 107
SR No.010135
Book TitlePadmavati Purval Digambar Jain Jati ka Udbhav aur Vikas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjit Jain
PublisherPragatishil Padmavati Purval Digambar Jain Sangathan Panjikrut
Publication Year2005
Total Pages449
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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