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________________ प्रसिद्ध जैन मेला भूमि सत्याग्रह को संचालित करने का अवसर मिला। . आपने अनेक समारोहों का संचालन एवं संयोजन किया जिनमें से निम्न समारोह सचमुच चिरस्मरणीय बन गये हैं__ 1. अग्रसेन जयंती का कवि सम्मेलन, 2. फिरोजाबाद के जैन मेले में जैन समाज के उत्कृष्ट विद्वान पंडित इन्द्रलाल जी शास्त्री, जयपुर की अ. भा. शास्त्री परिषद द्वारा अभिनन्दन समारोह, 3. मानसरोवर साहित्य संगम द्वारा न्यायाचार्य पं. माणिकचन्द्र जी कौन्देय का अभूतपूर्व सम्मान और 4. फिरोजाबाद का जैन मेला भूमि सत्याग्रह। लौकिक शिक्षा के साथ ही धार्मिक शिक्षा के प्रति भी आपका प्रगाढ़ स्नेह रहा, स्नेह मात्र ही नहीं, बल्कि धार्मिक शिक्षा एवं सद्गुणों के प्रसार-प्रचार हेतु आपने आचार्य विमलसागर जैन विद्यालय के नाम से धार्मिक पाठशाला, नई बस्ती फिरोजाबाद में संस्थापित की जिसमें आज भी अनेक छात्र अध्ययन करते हैं। उस शाला में धार्मिक शिक्षा दी जाती है। साहित्य के क्षेत्र में आपने सराहनीय कार्य किया। आपके अनेक निबन्ध प्रकाशित हो चुके हैं। मुनि विद्यानन्द कृतित्व और व्यक्तित्व आचार्य विमलसागर परिचय, एवं आचार्य विमलकीर्ति जी (परिचय) ये तीन रचनायें प्रकाशित हैं तथा अपनी कोटि की अद्वितीय हैं। हिन्दी दिग्दर्शन, हिन्दी रचना कल्पद्रुम, रचना रश्मि, चन्द्रप्रभ वैभव एवं व्याकरण प्रदीप नामक आपकी पुस्तकें आपकी प्रकाशित रचनाएं हैं। 'समाज किधर?' और 'यह फिरोजाबाद है' नामक दो निबन्ध संग्रहों का प्रकाशन विचाराधीन है। आपने अब तक निम्न पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन किया है1. पद्मावती संदेश, 2. अमृत, 3. जैन संस्कृति 4. युग परिवर्तन, 5. जैन गजट के संपादक आज भी हैं। इस तरह आपकी उदीयमान प्रतिभा और व्यक्तित्व पर विहंगम दृष्टि पद्मावतीपुरवाल दिगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकास 102
SR No.010135
Book TitlePadmavati Purval Digambar Jain Jati ka Udbhav aur Vikas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjit Jain
PublisherPragatishil Padmavati Purval Digambar Jain Sangathan Panjikrut
Publication Year2005
Total Pages449
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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